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कचरे से तबाह होती कुदरती खूबसूरती

४ नवम्बर २०१०

चेरी जैसे छोटे छोटे लाल टमाटर, रसीली खुबानी और बेहतरीन अंगूर. कुछ साल पहले तक नेपल्स की खाड़ी से सटे कंपानिया प्रांत में माउंट वेसुवियस की पहचान इन्हीं सब चीजों से थी. लेकिन कूड़े के ढेर ने सारा स्वाद खराब कर दिया है.

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तस्वीर: picture alliance/dpa

सारे साल सैलानियों से भरे रहने वाले इस इलाके में दो साल पहले सड़कों पर हर तरफ बस कचरा नजर आता था. हालत ज्यादा खराब हुई तो सरकार ने इस कचरे को उठाकर लैंडफिल एरिया में फिंकवा दिया. अब यह कचरा शहर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर मौजूद नेशनल पार्क के पास बने सारी लैंडफिल एरिया में जमा हुआ है.

यूरोप में सबसे बड़ी कचरा फेंकने की यह जगह दूर से किसी ऊंचे पहाड़ जैसी दिखती है. यहां मौजूद कचरा शहर की मिट्टी, पानी और वायु में जहर घोल रहा है. यह जहर धीरे धीरे रिस कर आसपास के खेतों और रिहायशी इलाकों तक पहुंच रहा है.

पर्यावरण से जुड़े लोग बताते हैं कि सारी लैंडफिल एरिया की हालत एक दम बिगड़ती जा रही है. अवैध रूप से यहां जमा किए गए कचरे के कारण जहरीले तत्व मिट्टी में घुल रहे है. इसके कारण वहां पैदा होने वाली फसलों की सेहत लगातार गिरती जा रही है. कंपानिया की रीजनल गारबेज कमेटी से जुड़ी एन्ना फावा कहती हैं, "शहरों का कचरा गांवों में डाल कर उन्हें छुपाने से समस्या का समाधान नहीं होगा."

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कचरे से कब मिलेगी निजाततस्वीर: picture alliance/dpa

खेती और सैलानियों की आमदोरफ्त से होने वाली कमाई से ही शहर के हर घर में चूल्हा जलता है. यूनेस्को की धरोहर सूची में शामिल प्राचीन रोमन शहर पोम्पेई के अवशेष देखने हर साल यहां 30 लाख से ज्यादा सैलानी आते हैं. करीब 1900 साल पहले रोमन शहर पोम्पेई ज्वालामुखी विस्फोट से तबाह हो गया और वेसुवियस पहाड़ का जन्म हुआ. इसी पहाड़ के ढलानों पर टमाटर, खुबानी और अंगूर की नायाब फसलें उगाई जाती हैं. यहां से कुछ किलोमीटर की दूरी पर एक नेशनल पार्क भी है. 135 वर्ग किलोमीटर में फैला यह नेशनल पार्क दुर्लभ जानवरों और पेड़ पौधों का घर है. खतरा इन्हें भी है, क्योंकि इन सबसे थोड़ी दूरी पर ही सरकार ने कूड़ा डालने के लिए लैंडफिल एरिया बना दिया.

लैंडफिल एरिया में जमा कचरे से निकला जहर शहर का दम घोंट रहा है. मुश्किल यह है कि कचरा निपटाने वाली कंपनियां भी ठीक से काम नहीं कर रहीं. नतीजा कचरे का ढेर बढ़ता जा रहा है और उससे निकला जहर भी. इस इलाके में शहरों का जहरीला कचरा जमा है. इलाके के लोगों का कहना है कि यह कंपनी ना तो इन्हें रिसाइकिल करती है ना ही उन्हें अलग अलग छांटती है. ये लोग बस ज्यादा से ज्यादा कचरा जलाने वाली भट्टी लगाना चाहते हैं वह भी सरकारी पैसे से

हद तो तब हो गई जब सरकार ने एक दूसरा लैंडफिल एरिया बनाने का भी एलान कर दिया, वह भी पुराने वाले के बिल्कुल बगल में और उससे काफी बड़ा. सरकार के इस एलान के साथ ही विरोध का सिलसिला शुरू हो गया. विरोध करने वाले कह रहे हैं कि यह कचरा ना सिर्फ उनकी सेहत का दुश्मन है बल्कि उनकी रोजीरोटी का भी.

Proteste gegen die Mafia in Neapel
बड़े पैमाने पर होता रहा है विरोधतस्वीर: AP

विरोध करने वाले लोग लैंडफिल एरिया पर जमा हुए और कचरे की जांच करने की मांग करने लगे तो सरकार ने सुरक्षाकर्मियों को तैनात कर उन्हें वहां जाने से रोक दिया. लैंडफिल एरिया के बाहर लगे गेट को बंद कर दिया गया. कूड़ा निपटाने के लिए जिम्मेदार सरकारी एजेंसी के प्रमुख गीडो बर्तोलासो का कहना है कि ये काम सरकार का है. वह कहते हैं, "हम लोग एक लोकतांत्रिक देश में रहते हैं और लोगों ने इन सब कामों के लिए अपने प्रतिनिधि चुने हैं. इन प्रतिनिधियों को ही अधिकार है कि वे आकर कचरे की जांच करे आम लोगों को नहीं."

गीडो बर्तोलासो अवैध रुप से कचरा डाले जाने के लिए भी जन प्रतिनिधियों को ही दोषी ठहराते हैं. वह कहते हैं, "हम लोगों ने यहां कचरा डाला है और इसमें पर्यावरण को कोई खतरा नहीं लेकिन अगर अवैध रूप से कोई कचरा डाल रहा है तो इसके लिए स्थानीय नेता जिम्मेदार हैं."

बर्तोलासो कहते हैं कि अगले कुछ सालों में कचरे को रिसाइकिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगा लेकिन तब तक कचरे से निकला जहर यहां की मिट्टी, पानी और हवा में घुलता रहेगा.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः ए कुमार

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