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कंधमाल दंगों के मामले में बीजेपी एमएलए को सजा

३० जून २०१०

भारत में फास्ट ट्रैक अदालत ने मंगलवार को बीजेपी के एक विधान सभा सदस्य मनोज प्रधान को सात साल की सजा सुना दी है. प्रधान को 2008 में उड़ीसा में सांप्रदायिक दंगों के दौरान एक व्यक्ति के मौत का जिम्मेदार माना गया.

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कंधमाल में हुए दंगेतस्वीर: picture-alliance/Bildfunk

जज एसके दास ने प्रधान को परीखिता दहल की मौत का दोषी ठहराया है. दहल कंधमाल में बुदेदी गांव की रहने वाली थीं. प्रधान पर दंगा फैलाने, खतरनाक हथियारों का इस्तेमाल करने, गैर कानूनी तरीके से लोगों को जमा करने, लोगों को गैर कानूनी तरीके से बंधक बनाने और आग और विस्फोटकों के जरिए घरों को तबाह करने के आरोप लगाए गए हैं. अदालत ने प्रधान के अलावा प्रफुल्ल मलिक को भी सात साल के कैद की सजा सुनाई है. प्रधान के साथ मलिक को 6,000 रुपयों का जुर्माना भी भरना पड़ेगा.

प्रधान कंधमाल में उदयगिरी चुनाव क्षेत्र के प्रतिनिधि हैं. उन पर लोगों के घरों को आग लगाने और सांप्रदायिक दंगों के लिए लोगों को उकसाने के भी आरोप हैं. प्रधान इस वक्त जमानत पर हैं. उन्होंने कहा है कि वे फैसले के खिलाफ अपील करेंगे. इससे पहले प्रधान को सात मामलों में निर्दोष पाया गया था लेकिन उन पर सात और मामलों में कानूनी कार्रवाई चल रही है.

2009 में उन्होंने कंधमाल जिले से चुनाव लड़ने का फैसला किया. कंधमाल से बीजेपी के वे एकमात्र प्रतिनिधि हैं. वे स्वामी लक्षमणानंद सरस्वती के शिष्य माने जाते हैं. 23 अगस्त 2008 में सरस्वती के कत्ल के बाद कंधमाल में दंगे शुरू हुए. दंगों में 38 लोग मारे गए और कई लोग बेघर हो गए थे.

रिपोर्टःपीटीआई/एम गोपालकृष्णन

संपादनः एन रंजन