ओबामा से मिले मनमोहन, पाक अफगान हालात की चर्चा
१२ अप्रैल २०१०इस मुलाकात के दौरान भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, विदेश सचिव निरुपमा राव और अमेरिका में भारत की राजदूत मीरा शंकर भी मौजूद थी. वहीं अमेरिकी टीम में विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन, व्हाइट हाउस के चीफ ऑफ स्टाफ रैम इमैनुएल और राजनीतिक मामलों के सहायक विदेश मंत्री विलियम बर्न्स शामिल थे.
पिछले पांच महीनों में यह राष्ट्रपति ओबामा और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की दूसरी मुलाकात है जो लगभग एक घंटे तक चली. समझा जाता है कि सिंह ने भारत की ये चिंताएं अमेरिका तक पहुंचा दी है कि अमेरिका की तरफ से मिलने वाली मदद का इस्तेमाल पाकिस्तान भारत के खिलाफ ही करता रहा है.
चंद महीनों पहले ही राष्ट्रपति ओबामा ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बारे में अपनी नई नीति पेश की है जिसके तहत 30 हजार और अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान भेजे जाएंगे. इसी सिलसिले में दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान की स्थिति पर भी चर्चा की.
समझा जाता है कि मनमोहन सिंह ने जोर देकर कहा कि भारत अफगानिस्तान में अपनी भूमिका निभाता रहेगा, क्योंकि यह न सिर्फ अफगानिस्तान के लिए बल्कि, पूरे क्षेत्र के लिए बहुत अहम है. भारत अफगानिस्तान में कई विकास परियोजनाएं चला रहा है और भारतीयों पर कई बार हुए आतंकवादी हमलों के बावजूद वह अफगानिस्तान से पीछे नहीं हटना चाहता.
ओबामा और सिंह के बीच विवादास्पद नागरिक परमाणु जवाबदेही विधेयक पर भी बात हुई, जिसमें शामिल कुछ बातों को लेकर भारत में विपक्षी पार्टियां तीखा विरोध जता रही है. विपक्ष का कहना है कि इस प्रस्तावित कानून के तहत किसी परमाणु हादसे की स्थिति में अमेरिकी कंपनियों को जबावदेही से बचाया जा रहा है.
मनमोहन सिंह ने ओबामा को बताया कि यह बिल लोकतांत्रिक प्रक्रिया से गुजर रहा है और उम्मीद है कि जल्द ही इसे संसद की मंजूरी मिल जाएगी. अमेरिका इस बिल को पास कराने के लिए दबाव डाल रहा है क्योंकि अमेरिकी कंपनियों को डर है कि कहीं वे फ्रांस और रूस जैसे देशों की कंपनियों से पिछड़ न जाएं. ये देश भी अमेरिका की तरह भारत के साथ असैनिक परमाणु क्षेत्र में सहयोग के लिए करार कर चुके हैं.
भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन और अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेम्स जोंस की मुलाकात में भारत पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी आतंकवादी डेविड हेडली के प्रत्यर्पण का मुद्दा भी उठाएगा. मुंबई के आतंकवादी हमलों के सिलसिले में अपना जुर्म कबूल चुके हेडली से भारत सीधी पूछताछ करना चाहता है ताकि इस पूरी साजिश का पता लगाया जा सके. लेकिन अमेरिकी पक्ष अब तक इस बारे में कोई फैसला नहीं कर पाया है कि भारत को इस तरह की पूछताछ की इजाजत होगी या नहीं.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः एस गौड़