ओबामा को तोड़ मरोड़ कर इस्लाम के इस्तेमाल का अफसोस
८ नवम्बर २०१०अपनी भारत यात्रा के दूसरे दिन मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज में छात्रों के सवालों का जवाब दे रहे थे. इस दौरान एक छात्र ए अंसारी ने उनसे पूछा कि जिहाद के बारे में वह क्या सोचते हैं. इसके जबाव में ओबामा ने कहा, "मुझे लगता है कि हम में से हर एक को हिंसा की अवधारणा को खारिज कर देना होगा. यही हमारे आपसी मतभेदों को दूर करने का तरीका है."
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, "मेरा मानना है कि हम सभी इस बात से पूरी तरह सहमत हैं कि इस्लाम एक महान धर्म है जिसे कुछ अतिवादी लोग तोड़ मरोड़ कर मासूम लोगों पर हिंसा करने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं. इसलिए दुनिया के सामने एक बड़ी चुनौती यह है कि किस तरह इन लोगों को अलग थलग कर दिया जाए जिन्होंने धर्म युद्ध के मायनों को ही बदल दिया है."
ओबामा ने कहा कि जिहाद नाम का यह शब्द अलग अलग मायने रखता है. इस्लाम महान धर्मों में से एक है और इसे मानने वाले एक अरब लोगों में ज्यादातर शांति, न्याय और सहनशीलता में विश्वास रखते हैं.
युवाओं के बीच खड़े अमेरिकी नेता ने कहा कि नौजवान इस बात दुनियाभर में फैलाने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं कि सभी लोग दूसरे को नीचा दिखाए बिना या हिंसा के इस्तेमाल के बिना अपने विश्वास का पालन करें. उन्होंने कहा कि दुनिया रोज छोटी होती जा रही है और इस दुनिया में धार्मिक सहनशीलता की सख्त जरूरत है क्योंकि अब अलग अलग धर्म, रंग और नस्ल के लोग एक साथ काम कर रहे हैं, रह रहे हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः एमजी