ओबामा की क्यूबा क्रांति
१८ दिसम्बर २०१४क्यूबा, माई लव - अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा ने कैरिबियाई द्वीपसमूह के साथ रिश्तों को लेकर ऐसा ही संदेश दिया है. यह उतना ही क्रांतिकारी है, जितनी कि क्यूबाई क्रांति थी. और यह बाइबिल के संदेशों जैसी शांतिपूर्ण है. संदेश है, अपने दुश्मन से प्यार करो.
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपना पुराना कम्युनिस्ट दुश्मन खो दिया है और क्यूबाई राष्ट्रपति राउल कास्त्रो पूंजीवाद के प्रति अपनी नफरत खो बैठे हैं. 1961 के बाद से राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रपति को किए गए पहले फोन कॉल के साथ ही दोनों राष्ट्राध्यक्षों के बीच सहमति हो गई. वे तब से ठंडे बस्ते में पड़े राजनयिक रिश्तों को दोबारा शुरू करना चाहते हैं और राजदूतों की अदला बदली करना चाहते हैं.
वह वक्त दूर नहीं जब अमेरिका क्यूबा पर लगे व्यापारिक प्रतिबंध भी हटा लेगा. अभी ही "पाबंदी" शब्द राजनीतिक कट्टरवादियों के लिए सिर्फ वैचारिक पैबंद का कम कर रहा है, खास तौर पर रिपब्लिकनों के लिए, जो प्रतिबंधों के खात्मे को अमेरिका की हार समझते हैं.
लेकिन पाबंदी हटाने का सिलसिला शुरू हो चुका है. साल 2000 से दवाओं के अलावा अमेरिका से क्यूबा को मानवीय आधार पर मक्के, अनाज और पोल्ट्री का निर्यात किया जा सकता है.
"दुष्ट" राष्ट्र से फ्लर्ट
इसके अलावा 2011 के बाद से सालाना एक लाख अमेरिकी नागरिक सांस्कृतिक और वैज्ञानिक आदान प्रदान के लिए क्यूबा जा रहे हैं. अमेरिका में निर्वासन में रहने वाले क्यूबाई नागरिकों की यात्रा पर लगा प्रतिबंध भी हटा दिया गया है, जो रिश्तेदारों से मिलने अपने घर जाना चाहते हैं. प्रेस रिपोर्टों के मुताबिक तो दोनों देशों के सैनिक तट की रक्षा में और ग्वांतानामो के नौसैनिक अड्डे की सीमा पर सहयोग भी कर रहे हैं.
अब ओबामा आधिकारिक तौर पर कम्युनिस्ट कैरिबियाई द्वीप के साथ एक नया अध्याय शुरू करना चाहते हैं और क्यूबा को आतंकवाद का समर्थन करने वाले तथाकथित "दुष्ट राष्ट्रों" की सूची से हटाना चाहते हैं. क्यूबा की यात्रा करने पर लगा प्रतिबंध भी हटाया जाएगा.
बलि का बकरा
फिलहाल ज्यादा कुछ संभव नहीं है क्योंकि प्रतिबंधों को हटाने के लिए ओबामा को अमेरिकी संसद में बहुमत की जरूरत है. भले ही ये छोटे कदम लगें, लेकिन अमेरिका-क्यूबा के बीच दीवार गिरनी शुरू हो गई है. पाबंदियों में ढील देने और राजनयिक रिश्तों को बहाल करने के साथ पाबंदी हटने की शुरुआत हो चुकी है.
इस मानसिक दीवार को गिराए जाने का लंबे वक्त से इंतजार था. पाबंदियां पुरानी पड़ गई हैं, वे बेअसर रही हैं. बल्कि इसकी वकालत करने वालों को उनकी उम्मीद के उलटे ही नतीजे मिले हैं. उन्होंने हवाना के नेताओं को उनकी आर्थिक विफलताओं के लिए आसान बहाना दे दिया. से अपनी आर्थिक राजनीतिक नाकामियों का बहाना खोज पाते हैं. अब पुराने दुश्मन ईसा मसीह के संदेश पर लौट आए हैं, दुश्मनों से प्यार जिंदाबाद.