ऑस्ट्रेलिया ने खरीदी सबसे घातक पनडुब्बी
ऑस्ट्रेलिया 36 अरब डॉलर में फ्रांस से 12 नई पनडुब्बियां खरीद रहा है. पनडुब्बी कंपनी का दावा है कि यह अब तक की सबसे घातक पनडुब्बियां हैं.
छोटे फिन वाली किलर
बीते दो दशकों से ऑस्ट्रेलिया अपनी समुद्री सीमा की हिफाजत के लिए छह डीजल पनडुब्बियों का इस्तेमाल कर रहा है. लेकिन भविष्य में इन घरेलू पनडुब्बियों की छुट्टी कर दी जाएगी. उनकी जगह लेटेस्ट तकनीक वाली फ्रांस की ब्लैकफिन बाराकुडा पनडुब्बियां लेंगी.
पानी में खामोश
डीसीएनएस कंपनी के मुताबिक बाराकुडा इंसान द्वारा बनाई गई अब तक की सबसे ताकतवर पारंपरिक पनडुब्बी है. यह मशीन वॉटर जेट की मदद से चलती है. समुद्री दानव कही जाने वाली बाराकुडा बहुत ही खामोशी से पानी में आगे बढ़ती है. युद्ध की स्थिति में इसके हाइड्रोजेट इंजन इसे बेहद चपल शिकारी बना देते हैं.
युद्ध की तकनीक
बाराकुडा में सबसे एडवांस नेवीगेशन टेक्नोलॉजी लगी है. तकनीकी कुशलता के चलते ही ऑस्ट्रेलिया ने बाराकुडा को चुना.
मशीन एक, काम अनेक
डीसीएनएस के मुताबिक बाराकुडा में एक टॉरपीडो लॉन्चर सिस्टम भी है जो पानी के भीतर से 1,000 की दूरी पर क्रूज मिसाइलें फायर कर सकता है. पनडुब्बी का इस्तेमाल दूसरी पनडुब्बियों और युद्धपोतों के खिलाफ भी किया जा सकता है. खुफिया जानकारी जुटाने और स्पेशल ऑपरेशन में भी इसे लगाया जा सकता है.
डीजल फ्यूल
फिलहाल फ्रेंच नौसेना बाराकुडा पनडुब्बियां इस्तेमाल करती है. वह इन्हें परमाणु ईंधन से चलती है. लेकिन ऑस्ट्रेलिया इन्हें पारंपरिक डीजल फ्यूल से चलना चाहता है. पनडुब्बियों में अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन 1.5 अरब डॉलर का हथियार सिस्टम लगाएगी.
एडिलेड का शिपयार्ड
समझौते के मुताबिक डीसीएनएस अगले 30 साल में 12 बाराकुडा पनडुब्बियां बनाएगा. पनडुब्बियां एडिलेड के शिपयार्ड में बनाई जाएंगी. इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम और सॉफ्टवेयर अमेरिका से आएगा.
जटिल इंजीनियरिंग
बाहर से एक पीस लगने वाली बाराकुडा 3,50,000 पुर्जों और पार्ट्स से मिलकर बनेगी. इसकी क्राफ्टिंग दुनिया के सबसे बड़ी विमान ए380 से भी मुश्किल है. ए380 में 1,00,000 पुर्जे और पार्ट्स होते हैं.