ऑनलाइन शॉपिंग का बढ़ता चलन
अंतरराष्ट्रीय कंपनियों अमेजन और ईबे के बाद फ्लिपकार्ट जैसी भारतीय कंपनियां इंटरनेट में छाई हुई हैं. कुछ लोगों को ये बेहद पसंद आ रही हैं, तो कुछ का मानना है कि इंटरनेट से सस्ता और बेहतर सामान दुकानों में मिल सकता है.
फ्लिपकार्ट का पैंतरा
ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी फ्लिपकार्ट ने ईद के मौके पर भारत में बिग बिलियन डे सेल की घोषणा की. इस सेल का इतने लोगों ने फायदा उठाना चाहा कि वेबसाइट ही क्रैश हो गयी.
वॉलमार्ट का साइबर मंडे
फ्लिपकार्ट इस तरह की सेल आयोजित करने वाली पहली ऑनलाइन कंपनी नहीं है. अमेरिकी सुपरमार्केट चेन वॉलमार्ट के साइबर मंडे पर भी इसी तरह का हंगामा होता है.
सच में सस्ता?
ऑनलाइन कंपनियां लोगों को लुभाने के लिए कभी 40 तो कभी 90 प्रतिशत तक दाम कम करने की बात करती हैं. लेकिन कई बार दाम बढ़ा चढ़ा कर लिखे जाते हैं.
किताबों पर बहस
ई-बुक को सस्ते दामों पर बेचने के कारण अमेरिका और जर्मनी में बहुत से लेखक अमेजन जैसी वेबसाइटों से नाराज हैं. उन्हें पुस्तक व्यवसाय के कमजोर होने का खतरा लगता है.
बस एक बटन से
ऑनलाइन शॉपिंग खास तौर से नौकरीपेशा लोगों में लोकप्रिय है क्योंकि इससे बाजार जाने का समय बच जाता है. बस एक बटन दबाया और सामान ऑर्डर हो गया.
पैसे भी ऑनलाइन
ऑनलाइन शॉपिंग का सबसे जोखिम वाला हिस्सा है पैसे का भुगतान. अधिकतर वेबसाइटें डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड और कैश ऑन डिलवरी जैसे सभी विकल्प देती हैं.
क्रेडिट कार्ड के साथ सतर्क
क्रेडिट कार्ड का नंबर, उसका पिन या फिर पासवर्ड देते वक्त ध्यान देने की जरूरत है. हैकरों की नजर इसी पर रहती है. एक चूक से बैंक की सारी जानकारी हैकरों तक पहुंच सकती है.
घर तक सामान
अगर विश्वसनीय वेबसाइटों से ही सामान खरीदा जाए, तो ऑनलाइन शॉपिंग में कोई हर्ज नहीं. ना थैले उठाने का झंझट और ना ही दुकानों में घूम-घूमकर कुछ ढूंढने का. सहूलियत तो है!
जैसा नाम वैसा काम
भारत में फ्लिपकार्ट के अलावा स्नैपडील, जैबौंग और होम शॉप भी काफी लोकप्रिय हैं. कहना गलत नहीं होगा कि ये कंपनियां शॉपिंग कार्ट को कंप्यूटर में ले आई हैं.