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ऑनर किलिंग मामले पर सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

२२ जून २०१०

सुप्रीम कोर्ट ने इज्जत के लिए हत्याओं के बढ़ते मामलों (ऑनर किलिंग) पर सख्त रुख अपनाते हुए केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस भेजा है. कोर्ट ने यह नोटिस गैर सरकारी संगठन शक्तिवाहिनी की याचिका की सुनवाई के बाद जारी किया.

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तस्वीर: Wikipedia/LegalEagle

शक्तिवाहिनी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि ऑनर किलिंग के मामलो में कुछ राज्य सरकारें ढीला रवैया अपना रही हैं. संगठन का कहना है कि वोट बैंक के चलते सरकारें इस मामले में सुस्ती दिखा रही हैं. गैर सरकारी संगठन ने शिकायत की थी कि पंजाब, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और हरियाणा में ऐसी हत्याओं में बढ़ोतरी हो रही है, लेकिन ‘वोट बैंक की राजनीति' की वजह से न तो केंद्र और न ही राज्य सरकारें बुराई को खत्म करने के लिए कदम उठा रही हैं.

न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा और न्यायमूर्ति एके पटनायक की पीठ ने ‘शक्तिवाहिनी' की याचिका पर संबंधित सरकारों से जवाब मांगा और खाप पंचायतों की शह पर हाल में इस तरह की हत्याओं में हुई वृद्धि पर चिंता जताई.

शक्ति वाहिनी के वकील रवि कान्त के अनुसार पिछले कुछ महीनो से ऑनर किलिंग के नाम पर लगातार हत्या हो रही थी और उन्होंने इसी लिए कोर्ट से मांग की है कि केंद्र और राज्य स्तर पर एक्शन प्लान तैयार किया जाए.

जिन जोड़ों को समाज या खाप पंचायत से डर है उन्हें पुलिस सुरक्षा प्रदान कराई जाने की मांग की गई है. अगर ऐसे किसी पुरुष या युवती की हत्या होती है जिसने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई हो तो पुलिस के पर भी कार्यवाही की जाने की मांग की गई है. रवि कान्त का मानना है कि राज्य और पुलिस की इस मामले में जवाबदेही नहीं होने के चलते ये मामले बढ़ रहे हैं.

नई याचिका में कोर्ट का ध्यान साल 2006 की उस घटना की तरफ दिलाया गया है जिसमे लता सिंह मामले में कोर्ट ने गाइडलाइंस जारी की थी लेकिन उन पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. रवि कान्त के अनुसार उस समय सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को निर्देश दिया था कि ऐसे जोड़ों को जिन्हें खाप पंचायत से खतरा हो, उन्हें सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए लेकिन उस पर पूर्ण रूप से अमल नहीं हुआ.

रिपोर्ट: नौरिस प्रीतम, नई दिल्ली

संपादन: एस गौड़