एसिड अटैक का मुकाबला!
जर्मनी की फोटोग्राफर ऐन क्रिस्टीने वोर्ल ने दुनिया भर में उन महिलाओं की तस्वीरें लीं जिन्होंने खुद पर एसिड अटैक जैसे खतरनाक और जघन्य अपराध को झेला और उससे मजबूत होकर उबरीं.
भारत से निहारी
निहारी जब केवल 19 साल की थी, उसने खुदखुशी की कोशिश की थी. वह अपने जीवन से पूरी तरह निराश हो चुकी थी. वह अपने पति की ओर से मिल रही शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना से बेहद परेशान थी.
बांग्लादेश से फरीदा
फरीदा के पति को ड्रग्स और जुए की इतनी बुरी लत थी कि उसके लिए अपना घर तक बेच दिया. तंग आकर जब फरीदा ने उसे छोड़ने की धमकी दी तो उसके पति ने सोती हुई फरीदा पर एसिड डाल कर उसे कमरे में बंद कर दिया. उसके दर्द से बिलबिला कर चीखने से पड़ोसियों ने दरवाजा तोड़कर फरीदा को बाहर निकाला.
जीवनभर का जख्म
हमले के समय फरीदा की उम्र केवल 24 साल थी. तबसे अब तक वह 17 बार सर्जरी करवा चुकी हैं. फरीदा की मां भी उसके जख्मों की नियमित देखभाल करती हैं. अब फरीदा अपनी बहन के साथ रहती हैं. उनका अपना कोई घर नहीं रहा.
युगांडा से फ्लाविया
साल 2009 में फ्लाविया पर उसके घर के ही ठीक सामने एक अजनबी ने एसिड फेंक दिया. उसे आजतक नहीं पता कि वह हमलावर कौन था और उसने ऐसा क्यों किया. कई साल तक घर की चारदिवारी में छुप कर काटने के बाद उसने तय किया कि उसे अपनी जिंदगी आगे बढ़ानी ही होगी. यहां फ्लाविया एक साल्सा डांस नाइट में जाने के लिए तैयार होती दिख रही हैं.
परिवार का सहारा
फ्लाविया हर हफ्ते कम से कम एक बार डांस के लिए जरूर जाती हैं. बेहतरीन डांस करने के कारण उन्हें सब पसंद भी करते हैं. अपने परिवार और दोस्तों से मिल रही मदद से फ्लाविया अपनी जिंदगी को फिर से पटरी पर ला पाई है.
नई खूबसूरती
यहां जिस कमरे में निहारी मेकअप करती दिख रही है, यहीं उसने खुद को आग लगा ली थी. आज वह अपने उस कदम पर शर्मिंदा है और अब जली हुई महिलाओं को लेकर अपना एक संगठन चलाती है. निहारी के संगठन का नाम है 'ब्यूटी ऑफ दी बर्न्ड विमेन'.
पाकिस्तान से नुसरत
नुसरत पर दो बार एसिड हमला हुआ. पहले पति ने और फिर परिवार के एक और शख्स के उस पर एसिड फेंक दिया. किस्मत से वह बच गईं. एक नए दिन का सामना करने के लिए तैयार होती हुई नुसरत.
उम्मीद से भरी
एसिड के कारण नुसरत के सिर के कुछ हिस्सों से बाल खत्म हो गए. अपने डॉक्टर की सलाह से खुद को ठीक करने के तरीकों और अपनी हेयरस्टाइल पर राय लेती नुसरत.
दोस्तों का साथ
नुसरत अपने जैसी दूसरी औरतों से मिल कर एक दूसरे की तकलीफें साझा करना बहुत जरूरी मानती है. एसिड सर्वाइवर्स फाउंडेशन की बैठकों में नियमित रूप से जाकर हर किसी को तसल्ली मिलती है कि दुनिया में वह अकेली नहीं हैं.