एवरेस्ट की चढ़ाई थोड़ी सस्ती
१५ फ़रवरी २०१४एवरेस्ट पर चढ़ाई करने वाले पर्वतारोहियों को फिलहाल 25,000 डॉलर (करीब 15.56 लाख रुपये) फीस चुकानी पड़ती है. 2015 से इसके लिए 11,000 डॉलर (लगभग 6.82 लाख रुपये) फीस चुकानी होगी. सात लोगों के ग्रुप में चढ़ाई करने वालों को कुल 70,000 डॉलर देने होंगे.
नेपाल पर्यटन मंत्रालय के अधिकारी तिलकराम पांडे कहते हैं, "रॉयल्टी रेट में बदलाव से फर्जी ग्रुपों को कम बढ़ावा मिलेगा. ये ऐसे ग्रुप होते हैं जहां लीडर अपनी ही टीम के कुछ सदस्यों को जानता ही नहीं है." पांडे को उम्मीद है कि फीस कम करने से "जिम्मेदार और संजीदा पर्वतारोहियों को बढ़ावा मिलेगा."
अन्य पर्वत चोटियों पर चढ़ाई की फीस बहुत कम रखी गई है. ऑफ सीजन पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अन्य रूटों की फीस 2,500 डॉलर तय की गई है.
एवरेस्ट पर चढ़ाई का सबसे अच्छा समय मार्च से मई के बीच माना जाता है. इस दौरान बर्फ ताजा होती है, बारिश भी न के बराबर होती है और अच्छी धूप की वजह से मौसम भी गुनगुना रहता है.
पर्वत पर कचरा
1953 में नेपाली शेरपा तेनजिंग नॉर्गे के साथ न्यूजीलैंड के एडमंड हिलेरी ने पहली बार माउंट एवरेस्ट पर कदम रखा. दोनों ने दक्षिणपूर्व रिज के रास्ते दुनिया के शिखर पर जीत हासिल की. तब से अब तक 4,000 लोग चोटी को छू चुके हैं. इस दौरान 250 लोगों को जान गंवानी पड़ी.
सरकार को लगता है कि फीस कम करने से नए पर्वतारोहियों की संख्या बढ़ेगी. लेकिन इसके साथ ही एवरेस्ट पर कूड़ा करकट बढ़ने की भी आशंका है. पर्वतारोहण की इतिहासकार एलिजाबेथ हावली के मुताबिक जब 25,000 डॉलर की फीस होने के बावजूद एवरेस्ट में इतनी भीड़ रहती है तो फीस कम करने से तो हालात और बिगड़ेंगे.
दावा स्टीवन शेरपा के मुताबिक 2008 से अब तक सागरमाथा (एवरेस्ट का नेपाली नाम) के निचले इलाकों से नेपाली और विदेशी पर्वतारोहियों ने 15 टन कचरा साफ कर चुके हैं. इसमें खाने के टिन के डिब्बे, प्लास्टिक, ऑक्सीजन सिलेंडर, फटे टेंट, रस्सियां, सीढ़ियां और इंसानी कचरा है. ऊपरी इलाके में अब भी बहुत कचरा बाकी है. शेरपा को लगता है कि रास्ते तय करने, चढ़ने और उतरने के लिए अलग अलग रस्सियों के इस्तेमाल से भी कूड़ा कम फैलेगा.
पर्यटन मंत्री सुशील घिमिरे के मुताबिक सरकार अब ऐसी योजना बना रही है कि कोई सीधे पहली बार माउंट एवरेस्ट पर न चढ़े. नए पर्वतारोहियों को पहले निचली चोटियों में चढ़ना होगा. इस दौरान उन्हें अनुभव भी हासिल होगा और साफ सफाई को लेकर ट्रेनिंग भी दी जाएगी.
दुनिया की सबसे ऊंची 14 चोटियों में से आठ नेपाल में हैं. नेपाल में हिमालय की 2,000 से ज्यादा चोटियां हैं, इनमें से 326 विदेश पर्वतारोहियों के लिए खुली हैं. पर्वतारोहण नेपाल की अर्थव्यवस्था का मजबूत स्तंभ है. देश की जीडीपी में चार फीसदी पैसा यहीं से आता है.
ओएसजे/एजेए (रॉयटर्स)