एचआईवी का खतरा बढ़ाने वाला गर्भनिरोधक
९ जनवरी २०१५रिसर्चरों का दावा है कि गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल करने वाली महिलाओं को इंजेक्शन लेने वाली महिलाओं के मुकाबले एचआईवी का कम खतरा होता है. हालांकि वैज्ञानिकों ने इस परिणाम के लिए आंकड़ों का इस्तेमाल किया लेकिन उनका कहना है कि सिर्फ इस रिपोर्ट के आधार पर वे यह सलाह नहीं देंगे कि महिलाएं इंजेक्शन द्वारा ली जाने वाली दवा डिपो प्रोवेरा का उपयोग तुरंत छोड़ दें. इस दवा का इस्तेमाल लाखों महिलाएं करती हैं.
यह रिपोर्ट साइंस की मशहूर पत्रिका लैंसेट में छपी है. रिपोर्ट के मुताबिक इस दवा के बढ़ रहे इस्तेमाल से टाले जा सकने वाले एचआईवी के मामले और भी बढ़ सकते हैं. सहारा के दक्षिण में बसे अफ्रीकी देशों में 40,000 महिलाओं पर हुए 12 शोधों के मोटे तौर पर विश्लेषण में पाया गया कि डिपो मेड्रॉक्सीप्रोजेस्ट्रोन एसीटेट डीएमपीए नाम की दवा महिलाओं में एचआईवी संक्रमण की संभावना को बढ़ाती है.
किन्हें ज्यादा खतरा
एचआईवी के खतरे में होने वाली वृद्धि आम महिलाओं में उतनी ज्यादा नहीं देखी गई जितनी उन महिलाओं में जिन्हें पहले से एचआईवी संक्रमण का खतरा हो, जैसे यौनकर्मी. गर्भनिरोध के लिए कंडोम का इस्तेमाल या अन्य गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल करने वालों में एचआईवी संक्रमण का खतरा बढ़ता नहीं पाया गया.
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया के लॉरेन राल्फ के मुताबिक, "सिर्फ इस रिसर्च के आधार पर हम दवा के इस्तेमाल पर रोक की मांग नहीं कर सकते हैं. इस दवा पर प्रतिबंध लगाने का मतलब है बहुत सारी महिलाओं के पास वैकल्पिक और आसानी से मुहैया होने वाला प्रभावशाली रास्ता नहीं रहेगा." उन्होंने कहा, "इससे अनचाहे गर्भ के मामले बढ़ेंगे. कई देशों में बच्चे की पैदाइश में अक्सर मां की जान चली जाती है. यानि ऐसा करने से महिलाओं में प्रसव के दौरान होने वाली मौतों के मामले बढ़ेंगे."
यौनकर्मियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस रिसर्च को आगे बढ़ाने की जरूरत है. वे अक्सर एचआईवी से संक्रमित पार्टनर के संपर्क में आती हैं. डीएमपीए और एचआईवी के खतरे में वृद्धि के बीच संबंध पर पहली बार 1991 में ध्यान गया था. लेकिन इसके बाद से कई रिसर्चें इन दोनों के बीच सीधा संबंध स्थापित करने में नाकाम रही हैं.
एसएफ/एमजे (एएफपी)