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एक सुर में बोले करज़ई और ओबामा

१३ मई २०१०

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अफ़ग़ानी राष्ट्रपति का ज़ोरदार स्वागत किया और आपसी तनाव को कम करने लिए करज़ई का पूरा समर्थन किया. चार दिवसीय अमेरिकी यात्रा के आखिरी दिन करज़ई ओबामा से मिले.

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तस्वीर: AP

दोनों नेताओं ने आपसी एकता का प्रदर्शन किया. हालांकि दोनों ने ही ये स्वीकार किया कि अभी अफ़ग़ानिस्तान में बहुत कुछ किया जाना बाकी है. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करज़ई के तालिबान से बातचीत के प्रस्ताव का स्वागत किया है. करज़ई चाहते हैं कि जो लोग तालिबानी हिंसा छोड़ मुख्यधारा शामिल होना चाहते हैं उन्हें प्रोत्साहन मिलना चाहिए.

लेकिन अफ़ग़ान राष्ट्रपति को चिंता है कि अंतरराष्ट्रीय सेना के निकलने के बाद देश में हालात फिर ख़राब न हो जाएं. अफ़ग़ानी चिंता को दरकिनार करते हुए ओबामा ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सेना के निकलने के बाद भी अमेरिका उन्हें पूरा सहयोग देगा. साथ ही ओबामा ने भरोसा दिलाया कि तालिबान पर हमलों में नागरिकों को नुकसान नहीं पहुंचे इसका पूरा ध्यान रखा जाएगा.

इससे पहले करज़ई पिछले साल अमेरिका गए थे और उस समय वॉशिंगटन ने उनके ख़िलाफ़ कड़े शब्दों का प्रयोग किया था. बहरहाल इस साल उनका व्हाइट हाउस में ज़ोरदार स्वागत किया गया और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और हामिद करज़ई का 45 मिनट संयुक्त संवाददाता सम्मेलन हुआ. इस तरह से अमेरिका सिर्फ़ निकटतम सहयोगी देश ही पत्रकारों के सामने आता है. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अफ़ग़ानी राष्ट्रपति हामिद करज़ई के साथ काफी समय बिताया.

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अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिकी फौजतस्वीर: AP

अमेरिकी राष्ट्रपति ने करज़ई की अफ़ग़ान नीतियों का पूरा समर्थन किया. व्हाइट हाउस ये जानता है कि अगर ओबामा की अफ़ग़ान नीति को आगे ले कर जाना है तो उसे अफ़ग़ानिस्तान के सहयोग की बहुत ज़रूरत होगी. इसी को देखते हुए इस बार ओबामा ने करज़ई की खुले आम आलोचना से परहेज़ किया.

ओबामा ने कहा, ''मुझे पूरा विश्वास है कि हम अपने अभियान का लक्ष्य पाने में समर्थ हैं. निश्चित ही हमें इसमें मुश्किलें आ सकती हैं और नीति पर अफ़ग़ानिस्तान और अमेरिका में मतभेद भी हो सकते हैं लेकिन मैं सोचता हूं कि हमारा रास्ता कुल मिलाकर एक जैसा है.''

हालांकि अमेरिकी सरकार का अभी इस बात पर पूरा विश्वास नहीं है कि अफ़ग़ानिस्तान भ्रष्टाचार से लड़ने में सफल होगा लेकिन उसने शायद तय किया है कि वह इन मामलों को निजी तौर पर सुलझाएगी और जनता के सामने करज़ई के साथ पूरे सम्मान के साथ पेश आएगी.

अमेरिकी राष्ट्रपति ने विश्वास दिलाया कि जुलाई 2011 से अमेरिकी सैनिकों की अफ़ग़ानिस्तान से वापसी शुरू हो जाएगी. लेकिन साथ ही उन्होंने चेतावनी भी दी कि तालिबान की तरफ से और हमले होने की आशंका है.

दोनों राष्ट्राध्यक्षों की बातचीत में कोई नई बात सामने नहीं आई है हालांकि ये ज़रूर समझ में आया कि दोनों ही आपसी तनाव और खींचतान को अलग कर आपसी रिश्ते मज़बूत बनाना चाहते हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा मोंढे

संपादनः ओ सिंह