एक नजर दुनिया पर, आज की सारी बड़ी खबरें
१८ मई २०१६श्रीलंका में बाढ़ और भूस्खलन का कहर जारी
मानवाधिकार संस्था रेड क्रॉस का कहना है कि श्रीलंका में भारी बारिश और उसके चलते हुए भूस्खलन से 200 से अधिक परिवार लापता हैं. सरकार का कहना है कि इस दौरान 37 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई है और साढ़े तीन लाख लोग विस्थापित हुए हैं.
सऊदी पर हर्जाने के अधिकार का अमेरिकी कानून पास
अमेरिकी सीनेट ने 9/11 हमले के पीड़ितों को हर्जाने के लिए सऊदी अरब पर मुकदमा करने का अधिकार देने वाला एक कानून पास कर दिया है. जस्टिस अगेंस्ट स्पॉन्सर्स ऑफ टेररिजम ऐक्ट के तहत उन लोगों, संस्थाओं या देशों के खिलाफ मुकदमा किया जा सकेगा जिन पर आतंकवाद में सहयोग करने का संदेह होगा. यह कानून अमेरिका और सऊदी अरब के रिश्तों में तनाव ला सकता है.
उत्तर कोरियाई नेता से बातचीत को तैयार ट्रंप
उत्तर कोरिया के प्रति अमेरिकी रूझान से अलग जाते हुए डॉनल्ड ट्रंप ने आर्थिक रूप से अलग थलग कर दिए गए उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन से परमाणु हथियारों के मसले में बातचीत करने की इच्छा जताई है. एक समाचार एजेंसी से बात करते हुए उन्होंने कहा, "मैं किम जोंग उन से बात करूंगा. मुझे उनसे बात करने में कोई दिक्कत नहीं है.''
अधिक खुफिया जानकारी साझा करेंगे जर्मनी और अमरीका
जर्मनी के गृहमंत्री थोमस दे मेजियेर सुरक्षा के मसले पर वॉशिंगटन में अमरीकी आंतरिक सुरक्षा मंत्री जॉनसन के साथ एक बैठक कर रहे हैं. इन दोनों के बीच आतंक विरोधी सहयोग को बढ़ाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर होना है.
चीन की हांगकांग से व्यापार सहयोग की अपील
चीनी संसद के अध्यक्ष जांग देजियांग ने हांगकांग दौरे के दूसरे दिन हांगकांग से 'वन बेल्ट वन रोड' नीति में मदद की अपील की है. दूसरी तरफ देजियांग के संबोधन के समय ट्रेड यूनियन, राजनीतिक, और धार्मिक संगठनों से जुड़े लोगों ने सम्मेलन स्थल के बाहर उनके खिलाफ प्रदर्शन किया.
यूक्रेन में तस्करी और यातनाओं में इजाफा
मानवाधिकार संगठनों ने ऐसे हजारों वाकये दर्ज किए हैं जिसने अनुसार, रूस समर्थक विद्रोही और यूक्रेन दोनों ही युद्धग्रस्त इलाकों में लोगों के साथ बुरा बर्ताव कर रहे हैं. इस बीच मिंस्क में दोनों ही पक्षों के प्रतिनिधियों के बीच कई हफ्तों बाद फिर से वार्ता होने वाली है.
एड्स सम्मेलन में नहीं भाग लेंगे एलजीबीटी समूह
रिपोर्टों के मुताबिक यूएन ने जून में होने वाले एक एड्स सम्मेलन में भाग लेने से 11 एनजीओ का नाम हटा दिया है. समलैंगिकों के अधिकारों पर काम करने वाले ये समूह मिस्र, गुयाना, जमैका, पेरू, यूक्रेन और अन्य देशों से थे. अमेरिका, यूरोपीय संघ और कनाडा यूएन के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं.