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एक एसिड अटैक पीड़ित की आपबीती

२१ अक्टूबर २०१४

भारतीय किशोरी रेशमा जब उस दिन के बारे में बताते हुए कांपने लगती है जिस दिन उसके जीजा और उसके दोस्तों ने उसे पटककर उसके चेहरे पर तेजाबी हमला किया था.

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तस्वीर: Anurag Dwivedi

परिवार में विवाद के कारण इस खौफनाक हमले के बाद रेशमा को तेजी से राज्य सरकार की सहायता मिल जानी चाहिए थी. जबकि भारत की शीर्ष अदालत फैसला दे चुकी है कि ऐसे मामलों में पीड़ित 15 दिनों के भीतर एक लाख रुपये की सहायता की हकदार हैं. लेकिन पांच महीने बाद भी उसे एक कौड़ी भी नहीं मिली है.

मुंबई में छोटे से किराये के घर में 18 साल की रेशमा कहती है, "मेरी एक आंख पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है. अभी तक कोई मदद नहीं पहुंची है." इस दौरान एसिड अटैक के निशान लिए रेशमा के चेहरे से टप टप आंसू बहने लगते हैं. रेशमा की मां चेहरे पर जलन कम करने के लिए क्रीम लगाती है. लंबे अर्से से भारत तेजाब हमलों से त्रस्त है, अक्सर सार्वजनिक जगहों पर महिलाओं को निशाना बनाया जाता है. दहेज से जुड़े बदले, जमीन के विवाद और पुरुष के विवाह प्रस्ताव ठुकराने पर ऐसे हमले होते हैं.

जो इन हमले में बच जाती हैं वह जिंदगी भर न जाने वाले दाग और सामाजिक कलंक से जूझती रहती हैं. एक वक्त में रेशमा खूबसूरत भी थी और घर से बाहर जाने वाली वाणिज्य की छात्र भी थी, वह अब दोस्तों से मिलती जुलती नहीं है, बिस्तर पर पड़ी रहती है, कम बोलती है और कम खाती है. 2013 में इस अभिशाप को खत्म करने और पीड़ितों के लिए वित्तीय सहायता को बेहतर करने के लिए उठाए गए कदमों के बावजूद कार्यकर्ताओं का कहना है कि बहुत कम ही बदलाव आया है. दिल्ली में स्टॉप एसिड अटैक कैंपेन ग्रुप के आलोक दीक्षित कहते हैं, "अभी भी इस मुद्दे पर कोई जागरुकता नहीं है."

सख्ती से कानून का पालन नहीं

2013 की जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को तीन महीने का वक्त तेजाब की बिक्री पर रोक लगाने के लिए दिया था लेकिन आंदोलन के सदस्यों का कहना है कि एसिड अब भी आसानी से खरीदा जा सकता है. कोर्ट ने साथ ही कहा था कि पीड़ितों को तीन लाख रुपये मुआवजे के तौर पर मिलने चाहिए और हमले के 15 दिनों के भीतर मुआवजे का एक तिहाई हिस्सा मिल जाना चाहिए. दीक्षित कहते हैं वो ऐसे किसी को नहीं जानते जिसे इतनी जल्दी प्रारंभिक राशि मिली हो, जबकि 100 में से सिर्फ दो ही लोग पूरी रकम पाने में कामयाब हुए हैं. वह कहते हैं, "लोगों को पता नहीं है कि मुआवजे के लिए किस तरह से आवेदन करते हैं, अधिकारियों को भी नहीं पता."

क्या से क्या हो गया

टैक्सी ड्राइवर की बेटी रेशमा पर उत्तर प्रदेश में हमला हुआ था तथ्य ये है कि वह मुंबई में रहती है, जो उसके दावे को पेचीदा करते हैं. रेशमा के रिश्तेदारों ने मिलकर कुछ रकम इकट्ठा की और उसके इलाज के लिए लोन लिया है लेकिन डॉक्टरों ने कह दिया है कि उसे 10 से ज्यादा ऑपरेशनों की जरूरत होगी.

किसी और के साथ न हो ऐसा

वह कहती है, "इसके बाद स्थिति बेहतर होगी लेकिन फिर भी सब कुछ ठीक नहीं हो पाएगा." रेशमा की बड़ी बहन गुलशन के रंजिशजदा पति ने इस हमले को अंजाम दिया और हमले में गुलशन भी घायल हो गई. परिवार को लगता है कि रेशमा की लोकप्रियता और खूबसूरती हमले की वजहें बनीं. गुलशन कहती है, "रेशमा बहुत भावुक है और वह पढ़ना चाहती है."

गुलशन के पति को तो गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है वहीं गैंग में शामिल नाबालिग लड़के को जमानत मिल गई है और उसके दो सहयोगी अब भी फरार हैं. रेशमा कहती है, "पुलिस कुछ नहीं कहती है, वह तलाश भी नहीं करती."

भारत में पिछले साल तेजाब हमले को विशिष्ट दण्डनीय अपराध बनाया गया था जिसके तहत 10 साल तक की सजा हो सकती है. लेकिन कोर्ट में मामले सालों तक लटक सकते हैं. सरकारी सहायता की कमी से निराश कार्यकर्ताओं ने तेजाब हमले की पीड़ितों की आर्थिक मदद के लिए ऑनलाइन क्राउडफंडिंग का रास्ता अपनाया है. मेक लव नॉट स्कार्स ने वेबसाइट पर एक अभियान की शुरुआत की है. रेशमा और इलाज के लिए अस्पताल गई है. तत्काल खर्च करीब 2,200 डॉलर है हालांकि कुल खर्च कहीं अधिक होने की संभावना है. आज रेशमा अपने चेहरे के बारे में बयान "इतना डरावना" करके करती है. वह इलाज खत्म करने को बेताब है ताकि वह अपने मुजरिमों को सजा दिला सके. वह कहती है, "मैं उनसे कहना चाहती हूं कि उन्होंने जो मेरा साथ किया है वह दूसरी अन्य लड़कियों के साथ नहीं कर पाएंगे."

रेशमा के लिए अभियान वेबसाइट यहां पाई जा सकती है.

https://www.indiegogo.com/projects/support-acid-attack-survivor-reshma

एए/एएम (एएफपी)