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एंडरसन के प्रत्यर्पण पर विचार करेगा अमेरिका

१२ जून २०१०

अमेरिका का कहना है कि अगर भारत सरकार वारेन एंडरसन के प्रत्यर्पण के लिए नई अपील करेगी तो उस पर विचार किया जाएगा. एक अमेरिकी सांसद ने सरकार से कहा कि एंडरसन को तुरंत भारत के हवाले किया जाए.

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तस्वीर: AP

अमेरिकी सरकार ने भोपाल गैस कांड के पीड़ितों को न्याय मिलने की आशा जताई. मामले के मुख्य आरोपी वारेन एंडरसन के बारे में अमेरिकी गृह मंत्रालय के प्रवक्ता पीजे क्राउली ने कहा, ''हमारी भारत के साथ प्रत्यर्पण संधि है. अगर भारत हमसे प्रत्यर्पण के लिए कोई अपील करता है तो उस पर जरूर विचार किया जाएगा.'' अमेरिकी गृह मंत्रालय ने अभी यह साफ नहीं किया है कि क्या भारत ने एंडरसन के प्रत्यर्पण को लेकर नई मांग की है या नहीं.

एक अमेरिकी सांसद फ्रांक पैलोन ने भी अपनी सरकार से कहा है कि एंडरसन को भारत के हवाले किया जाए. पैलोन ने कहा, ''यूनियन कारबाइड के पूर्व अध्यक्ष वारेन एंडरसन समेत जो कोई भी लोग इस आपदा के लिए जिम्मेदार हैं उन्हें भारत में चल रहे मुकदमे का सामना करना चाहिए. सजा मिलनी चाहिए, उनकी वजह से हजारों लोगों दर्द से गुजरे और तबाह हो गए. वारेन एंडरसन वाकई इस लायक हैं कि उन्हें भारत के हवाले किया जाना चाहिए और यूनियन कार्रबाइड के पूर्व अध्यक्ष होने नाते उन्हें भोपाल गैस कांड के लिए सजा मिलनी चाहिए.''

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न्याय की आस मेंतस्वीर: AP

इस बीच एंडरसन की पत्नी लिलियान ने मामले पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार किया है. लेकिन उन्होंने कहा कि उनके पति का स्वास्थ्य अब अच्छा नहीं हैं. एंडरसन को लेकर भारत में भी राजनीतिक तूफान मचा हुआ है. यह बात अब साबित हो गई है कि 1884 में हादसे के बाद मध्य प्रदेश की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने सरकारी सुविधाएं देते हुए भारत से भागने में एंडरसन की मदद की. तब मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह थे और राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री थे. एंडरसन को हादसे के कुछ दिनों बाद ही सरकारी विमान से दिल्ली ले जाया गया. दिल्ली से एंडरसन मुंबई गए और वहां से सीधे अमेरिका.

भोपाल में दो दिसबंर 1984 की रात यूनियन कारबाइड के कारखाने से जहरीली गैस का रिसाव हुआ. रिसाव की वजह से 15 हज़ार से ज्यादा लोग मारे गए और हजा़रों लोग विकलांग, अंधे या बीमार हो गए. अदालत के फैसले में यह साफ हो चुका है कि हादसा कंपनी की लापरवाही की वजह से हुआ. आठ दोषियों को दो-दो साल की सजा मिल चुकी है और जमानत भी. भोपाल गैस कांड के पीड़ितों का कहना है कि अदालत के 26 साल बाद आए फैसले से साफ होता है कि उनके साथ किस हद तक अन्याय हुआ है.

रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह

संपादन: एन रंजन