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एंग्री बर्ड्स की वेबसाइट हैक

३१ जनवरी २०१४

स्मार्टफोन की बेहद लोकप्रिय गेम बनाने वाले कंपनी रोवियो इंटरटेनमेंट ने कहा है कि इस गेम की वेबसाइट बुधवार को हैक कर ली गई. बताया जा रहा है इस गेम के जरिए अमेरिका और ब्रिटेन लोगों के निजी आंकड़ों की छानबीन कर रहे हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

फिनलैंड की कंपनी की प्रवक्ता सारा बैर्गश्ट्रोम ने जानकारी दी, "ये गड़बड़ी कुछ ही मिनटों में पकड़ में आ गई और इसे तुरंत ठीक कर लिया गया. यूजर के डाटा को किसी तरह का खतरा पैदा नहीं हुआ."

इस हफ्ते की शुरुआत से ऐसी रिपोर्टें आ रही थीं कि ब्रिटेन की जीसीएचक्यू और अमेरिकी खुफिया एजेंसी एनएसए कई स्मार्टफोन ऐप से जानकारी इकट्ठा कर रही हैं. इनमें गूगल मैप और एंग्री बर्ड्स शामिल हैं.

रोवियो ने हालांकि इस दावे का खंडन किया है. उन्होंने कहा कि कंपनी "डाटा किसी के साथ नहीं बांटती. और कि वह इस बात को सुनिश्चित करती है कि यूजर की निजता सुरक्षित रहे."

रोवियो कंपनी के सीईओ मिकाएल हेड ने कहा कि उपभोक्ताओं की निजी जानकारी तीसरी एजेंसी से ली गई होगी. "हम भी दूसरी कंपनियों की तरह बाहरी एडवरटाइजिंग नेटवर्क का इस्तेमाल करते हैं. अपने उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए हमें इन नेटवर्क के साथ काम का फिर से विश्लेषण करना होगा, अगर वहां से जासूसी एजेंसियां ग्राहकों की निजी जानकारी ले रही हैं तो."

USA Computerspiel Angry Birds smart phone app
तस्वीर: AP/Rovio

दुनिया भर में बर्ड वर्सेस पिग्स वाला एंग्री बर्ड गेम 1.7 अरब बार डाउनलोड किया जा चुका है. और यह एक उदाहरण भी बन चुका है कि कैसे रोजमर्रा का एक सामान्य सा एप जासूसी का उपकरण बन सकता है.

न्यूयॉर्क टाइम्स और अमेरिका के प्रोपब्लिका पत्रकारिता ग्रुप के मुताबिक 2012 में ब्रिटेन की खुफिया रिपोर्ट में दिखाया गया था कि कैसे एंग्री बर्ड्स के यूजरों की जानकारी एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम वाले फोन से निकाली जा सकती है. एक अन्य दस्तावेज में फेसबुक के ऐप, फोटो शेयरिंग वेबसाइट फ्लिकर और फ्लिक्स्टर के बारे में जानकारी दी गई थी.

एफ सिक्योर कंप्यूटर सिक्योरिटी कंपनी के मिक्को हिप्पोनेन ने कहा कि रोवियो वेबसाइट का हैक होना मोबाइल कंपनियों और ऐप देने वालों के लिए अच्छा सबक है कि वह ग्राहकों के डाटा की सुरक्षा सुनिश्चित करें. हिप्पोनेन ने कहा, "कोई कारण नहीं है कि थर्ड पार्टी एडवरटाइजिंग नेटवर्क उपभोक्ताओं का डाटा एनक्रिप्ट करके कोड में क्यों नहीं डालता. ये कोई रॉकेट साइंस तो है नहीं. इन एजेंसियों पर अब बहुत दबाव होगा."

एएम/एजेए (डीपीए, एएफपी)

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