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महिलाओं से कम वफादार होते हैं मर्द

६ फ़रवरी २०१५

वैज्ञानिकों ने इंसानों को सेक्स के मामले में वफादार और स्वच्छंद की श्रेणी में बांटने का आधार ढूंढ लिया है. इंसान को छोड़कर लगभग सभी जीवों में उसका यौन व्यवहार मोटे तौर पर तय होता है.

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तस्वीर: Fotolia/drubig-photo

सभी स्तनधारियों में केवल इंसान ही ऐसा प्राणी है जिसके सेक्सुअल संबंध पहेली बने हुए हैं. बाकी स्तनधारी प्रजातियां या तो पॉलीगैमस या मोनोगैमस होती हैं, और ये लक्षण पूरे समूह में एक सा ही होता है. होमोसेपिएंस यानि मानव की प्रजाति को किसी एक वर्ग में डालना संभव नहीं हो पाया है. इसके बारे में जानने के लिए पर्याप्त आंकड़े भी नहीं थे. अब ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की एक टीम ने पाया है कि उन्हें इसे समझने के लिए काफी अच्छे तथ्य मिले हैं.

स्टडी के सहलेखक और मनोविज्ञानी रफाएल व्लोदार्स्की के बताया, "हमने ऐसे महिलाओं और पुरुषों के समूह का अध्ययन किया, जिनकी यौन प्रवृति या तो काफी वफादारी या फिर काफी स्वच्छंद यौन संबंधों वाली थी." स्टडी समूह ने सेक्सुअल बर्ताव के दो सूचकों का अध्ययन किया. उनका पहला स्रोत था ऑनलाइन सवाल-जवाब, जिसमें लोगों की यौन आदतों के बारे में पूछा गया. इसमें उत्तरी अमेरिका और ब्रिटेन के 585 लोगों से जवाब लिए गए, जो 18 से 63 साल की उम्र के थे.

दूसरा डाटा 1,314 ब्रिटिश आदमियों और औरतों का था, जिसमें जांच दल ने "2डी:4डी" अनुपात पर ध्यान दिया. यह बताता है कि किसी की रिंग फिंगर या अनामिका की लंबाई से पता चलता है कि मां के गर्भ में उसे टेस्टोस्टेरॉन की कितनी मात्रा मिली थी. अनामिका आपकी तर्जनी या इंडेक्स फिंगर से जितनी ज्यादा लंबी होगी, भ्रूण अवस्था में आपको उतना ज्यादा टेस्टोस्टेरॉन मिला होगा. रिसर्चरों का मानना है कि ये अनुपात जितना ज्यादा होगा उतनी ही ज्यादा उस व्यक्ति के स्वच्छंद होने की संभावना होगी.

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तस्वीर: Fotolia/drubig-photo

ब्रिटिश जर्नल बायोलॉजी लेटर्स में छपे इस रिसर्च में बताया गया है कि 57 फीसदी पुरुषों में स्वच्छंद होने और 43 फीसदी में वफादारी के लक्षण मिले. वहीं 47 प्रतिशत महिलाओं में स्वच्छंद और 53 में वफादार रहने की प्रवृत्ति मिली. रिसर्च में शामिल ऑक्सफोर्ड के ही एक प्रोफेसर रॉबिन डनबार का कहना है, "मानव व्यवहार कई कारकों से प्रभावित होता है जैसे कि पर्यावरण और उसके जीवन के अनुभव. हो सकता है कि सेक्सुअल संबंधों जैसे जटिल मामले में गर्भ के माहौल का कम ही असर पड़ता हो."

डार्विन की थ्योरी मानें तो किसी जीव के जितने ज्यादा पार्टनरों के साथ सेक्स संबंध बनते हैं, उतनी अधिक संतानें होने की संभावना होगी और उनके जीन भी उतने ही ज्यादा फैलेंगे. दूसरी ओर, एक ही व्यक्ति के साथ संबंध बनाए रखने से उनसे होने वाली संतानों के जीवित रहने की संभावना कहीं ज्यादा होगी. कुल मिला कर इंसान के सेक्सुअल व्यवहार से जुड़े अब भी कई सवाल हैं और मामला काफी जटिल बना हुआ है.

आरआर/एमजे (एएफपी)