ई सिगरेट को बढ़ावा
३० मई २०१४सिगरेट के धुंए में जिंदगी को उड़ाते लोगों का ध्यान खींचने के लिए 31 मई को 'वर्ल्ड नो टोबैको डे' मनाया जा रहा है. इस मौके पर पचास डॉक्टरों और रिसर्चरों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ से मांग की है कि ई सिगरेट को बाजार से हटाने की कोशिशें ना की जाएं. अपनी रिपोर्ट में उन्होंने ई सिगरेट को "जिंदगी बचाने वाला" बताया है और कहा है कि स्वास्थ्य के लिए यह "21वीं सदी की सबसे अहम खोज है".
ब्राजील और सिंगापुर समेत कई देशों में ई सिगरेट पर रोक है और कई देश इन्हें ले कर कड़े नियम बनाने में लगे हैं. दरअसल हाल ही में आई एक रिपोर्ट में कहा गया था कि ई सिगरेट सामान्य सिगरेट की लत तो छुड़वा देती है लेकिन लम्बे समय तक इसका सेवन सेहत पर बुरा असर छोड़ता है. इसी को देखते हुए ऐसा माना जा रहा है कि शायद डब्ल्यूएचओ ई सिगरेट पर प्रतिबंध लगा दे. डॉक्टरों ने डब्ल्यूएचओ से अनुरोध किया है कि कोई भी फैसला लेने से पहले इस पर ठीक से विचार कर लें. डब्यलूएचओ को अक्टूबर में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है.
सिगरेट मेड इन चाइना
ई सिगरेट या इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट एक पेन जैसा दिखने वाला उपकरण है. सिगरेट की ही तरह इसमें भी निकोटीन होता है. लेकिन इसे जलाया नहीं जाता. यह यंत्र बैटरी से चलता है और निकोटीन को धुएं में बदलने की जगह भाप में तब्दील कर देता है. ऐसे में धुएं से उठने वाली जहरीली गैस नहीं निकलती. 2003 में चीन से इनकी शुरुआत हुई और आज अकेले यूरोप में ही 70 लाख लोग इनका इस्तेमाल करते हैं.
गेरी स्टिम्सन नशा मुक्ति विशेषज्ञ हैं. उन्होंने भी डब्ल्यूएचओ को भेजी गयी अर्जी पर हस्ताक्षर किए हैं. उनका कहना है, "लोग सिगरेट पीते हैं क्योंकि उन्हें निकोटीन चाहिए, लेकिन टार के कारण उनकी मौत होती है. इसलिए अगर आप निकोटीन को जलने वाली चीजों से अलग कर लें, तो वे निकोटीन भी ले सकते हैं और वे मरेंगे भी नहीं."
लेकिन फिलहाल डब्यलूएचओ की वेबसाइट पर लिखा है कि दुनिया के 1.3 अरब सिगरेट पीने वाले लोगों को यह सलाह दी जाती है कि वे तब तक ई सिगरेट का रुख ना करें जब तक उसके असर के बारे में सब पूरी तरह पता नहीं चल जाता. डॉक्टरों की चिट्ठी के बारे में संगठन ने फिलहाल टिप्पणी देने से इंकार कर दिया है.
आईबी/एएम (एएफपी)