ईशनिंदा दोषी को मौत की सजा
२८ मार्च २०१४ईशनिंदा के दोषी सावन मसीह के वकील नईम शकीर ने बताया कि जज ने जेल में ही सावन मसीह की सुनवाई करके फैसला सुनाया कयोंकि उन्हें डर था कि अगर मसीह को अदालत ले जाया गया तो लोग उसपर हमला करेंगे. मसीह के वकील नईम शकीर ने कहा है कि वह फैसले के खिलाफ अपील करेंगे.
सावन मसीह का मामला पिछले साल 7 मार्च को शुरू हुआ जब एक मुस्लिम व्यक्ति ने मसीह पर पैगंबर मुहम्मद का अपमान करने का इल्जाम लगाया. पुलिस ने मसीह को गिरफ्तार किया लेकिन अगले दिन एक भीड़ ने मसीह की बस्ती और वहां रह रहे ईसाइयों पर हमला किया, उनके घर जलाए और उनका सामान तोड़ा. इसके बाद सैंकड़ों ईसाई परिवार इलाका छोड़ कर भाग गए. पुलिस ने 80 से ज्यादा लोगों को दंगे के आरोप में गिरफ्तार किया लेकिन लाहौर पुलिस के मुताबिक सारे आरोपियों को जमानत पर रिहा कर दिया गया है.
ईशनिंदा कानून में दोषी पाए गए लोगों को अक्सर मौत की सजा सुनाई गई है लेकिन वास्तव में पाकिस्तान में किसी को इस वजह से फांसी नहीं दी गई है. लेकिन ईशनिंदा के आरोपियों पर आम लोगों ने अपना गुस्सा जाहिर किया है और कुछ मामलों में उन्होंने कानून को भी अपने हाथ में लिया है और आरोपियों का खून किया है. एक बार आरोप लगने पर उसे गलत साबित करना लगभग नामुमकिन होता है, खास तौर से इसलिए क्योंकि कानून के रक्षक आम जनता को संकेत देना चाहते हैं कि वे ईशनिंदा के आरोपियों के साथ सख्ती से पेश आएंगे.
लेकिन ईशनिंदा के कानून ने पाकिस्तान में डर का माहौल पैदा कर दिया है. जज अकसर जेल में सुनवाई कराते हैं और कोशिश करते हैं कि गवाहों को दूर रखा जाए. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि ईशनिंदा की सख्त सजाओं की वजह से लोग निजी दुश्मनी को खत्म करने के लिए भी इसका गलत इस्तेमाल करते हैं.
एमजी/एएम (एपी)