ईशनिंदा के बहाने मीडिया को सजा
३० नवम्बर २०१४मामला एक रिएल्टी शो का है जिसमें एक धार्मिक गीत पर नाचने पर बवाल मच गया. गिलगित बाल्टिस्तान की अदालत ने इन चार आरोपियों को कैद की सजा तो सुनाई ही है, साथ ही इन पर 13 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. इसके अलावा उन्हें अपनी संपत्ति बेचने और पासपोर्ट जमा कराने के लिए भी कहा गया है. ईशनिंदा के आरोपों में मिली इस सजा को मीडिया की आजादी पर वार के रूप में देखा जा रहा है.
अदालत के आदेश में कहा गया, "आरोपियों ने जो दुष्कर्म किया है, उससे देश भर में मुसलमानों की भावनाएं आहत हुई हैं. इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता और इस तरह के बर्ताव पर सख्ती से लगाम लगाने की जरूरत है." गिलगित की इस अदालत का फैसला देश भर पर लागू नहीं होता, इसलिए इस आदेश से कुछ भी नहीं होगा. लेकिन इसने पाकिस्तान में मीडिया की आजादी पर बहस छेड़ दी है.
मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल के डेविड ग्रिफिथ्स ने डॉयचे वेले से बातचीत में कहा, "जिस तरह से जियो टीवी पर ईशनिंदा के आरोप लगे हैं और जो रवैया रहा है, उसे जियो टीवी के आईएसआई के खिलाफ रिपोर्टिंग से जोड़ कर ना देखा जाए, यह बहुत मुश्किल है. ऐसा लग रहा है जैसे उन्हें सेना की खुफिया एजेंसी से झगड़ा मोल लेने की सजा दी जा रही है."
ग्रिफिथ्स के अनुसार पाकिस्तान पत्रकारों के लिए दुनिया की सबसे खतरनाक जगहों में से एक है. एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपनी एक रिपोर्ट में 2008 के दौरान देश में लोकतंत्र की स्थापना के बाद से अब तक हुई 34 पत्रकारों की मौत का ब्योरा देते हुए कहा, "सरकार को जल्द ही इस मुद्दे पर ध्यान देना होगा."
अन्य मानवाधिकार संगठनों का भी यही मानना है कि चूंकि जियो टीवी आईएसआई के खिलाफ रिपोर्ट करता रहा है, इसीलिए उसे फंसाया जा रहा है. पाकिस्तान के मानवाधिकार संगठन एचआरसीपी ने हाल ही में एक बयान जारी कर कहा, "जियो के खिलाफ जिस तरह द्वेष भरी मुहिम चल रही है और चैनल को बंद करने के लिए उस पर जिस तरह का दबाव डाला जा रहा है, उसे ले कर अब चुप्पी नहीं साधी जा सकती." संगठन ने चेतावनी देते हुए कहा, "एचआरसीपी या कोई भी जियो की संपादकीय काबिलियत के बारे में क्या सोचता है, इसका विचार किए बिना भी यह कहना होगा कि जिस तरह से ईशनिंदा के आरोप लगा कर लोगों को सड़कों पर निकलने पर मजबूर किया जा रहा है, वह बेहद खतरनाक है."
मीडिया के जानकार मानते हैं कि जियो के बहाने देश भर में पत्रकारों को धमकाने की कोशिश की जा रही है. इस्लामाबाद स्थित पत्रकार अब्दुल सत्तार का कहना है, "सेना को यह बात पसंद नहीं कि एक प्राइवेट न्यूज चैनल उन पर उंगली उठाए. उन्हें लगता है कि जियो टीवी के खिलाफ कार्रवाई जरूरी है ताकि सभी पत्रकारों को सबक सिखाया जा सके."
कुछ जानकारों का मानना है कि वीना मालिक जिस रिएल्टी शो में दिखीं, उससे वाकई लोग आहत हुए और इस तरह की गलती के लिए चैनल को माफी मांग लेनी चाहिए थी. लेकिन इस बात पर सब एकमत ही नजर आते हैं कि सजा दरअसल ईशनिंदा नहीं, बल्कि आईएसआई निंदा के चलते दी गयी.