ईरान पर प्रतिबंध के लिए सुरक्षा परिषद की बैठक
९ जून २०१०हिलैरी क्लिंटन की राय में यह कहना बिल्कुल सही होगा कि ये ईरान के ख़िलाफ़ अब तक के सबसे महत्वपूर्ण प्रतिबंध हैं. और यह भी महत्वपूर्ण है कि कितनी एकता के साथ अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इन्हें लागू कर रहा है.
लेकिन ईरान के राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद अब भी प्रतिबंधों से घबराते नहीं दिख रहे हैं. तुर्की में एक एशियाई सम्मेलन में भाग लेते हुए उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद बिल्कुल अलोकतांत्रिक संस्था है. वीटो अधिकार वाले इसके सदस्य सिर्फ़ दुनिया पर राज करना चाहते हैं. उनका बर्ताव निहायत ग़लत है.
माना जा रहा है कि प्रस्ताव के पारित होने में कोई ख़ास दिक्कत नहीं होगी. लेकिन इस पर बहस और आखिरी फैसला होते होते काफी वक्त लगेगा. बैठक से पहले अमेरिका, फ़्रांस और रूस ने परमाणु ईंधन की अदलाबदली के ईरान के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. ईरान ने ब्राज़ील और तुर्की के साथ ईंधन की अदलाबदली का विकल्प पेश किया था. वियना की अंतर्राष्ट्रीय परमाणु उर्जा एजेंसी को उन्होंने बताया है कि ईरान का यह क़दम विश्वास उत्पादन के लिए काफ़ी नहीं है. अमेरिकी राजदूत ग्लीन डेविस ने कहा कि इसमें परमाणु अप्रसार संधि के प्रावधानों के उल्लंघन के सवाल को छुआ नहीं गया है.
ईरान के परमाणु उर्जा विभाग के प्रमुख अली अकबर सालेही ने कहा है कि परमाणु उर्जा एजेंसी को भेजे गए पत्रों के अध्ययन के बाद ईरान उनका जवाब देगा.
बहरहाल, सुरक्षा परिषद की कार्रवाई पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा. और सुरक्षा परिषद की ओर से प्रतिबंध लगाए जाने के बाद एक नई स्थिति होगी, जिसमें परमाणु ईंधन के विदेश में संवर्धन का सवाल पीछे पड़ जाएगा.
रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ
संपादन: ओ जनोटी