ईरान की ऐतिहासिक क्रांति
फरवरी 1979 में ईरान के शाह रजा पहलवी सत्ता से उखाड़ फेंके गए. इस ऐतिहासिक ईरानी क्रांति की ही बदौलत देश में राजशाही का अंत हुआ और एक इस्लामी धर्मतंत्र अस्तित्व में आया.
ईरान में हुई वापसी
पेरिस में निर्वासन के बाद 1 फरवरी 1979 को अयातोल्लाह रुहोल्लाह खोमैनी ईरान वापस लौटे. देश की जनता बेहद जोशोखरोश के साथ हवाईअड्डे पर उनका स्वागत करने पहुंची. कई सालों से खोमैनी ईरान के शाह और वहां के नेताओं की कई मुद्दों पर आलोचना करते आए थे.
इंतजार और उम्मीद की राह
खोमैनी की एक झलक पाने के लिए करीब 40 साख ईरानी लोग सड़कों पर उतर आए थे. हवाईअड्डे से सीधे केंद्रीय कब्रगाह जाकर उन्हें अपना पहला भाषण देना था. इसके पहले करीब एक साल से शाह के खिलाफ देश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे थे.
शाह का पद छोड़ना
अंतत: 16 जनवरी 1979 को शाह रजा पहलवी ने देश छोड़ दिया. अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और पश्चिमी जर्मनी जैसे प्रमुख पश्चिमी देशों के साथ हुई एक बैठक में शाह को सत्ता हाथ से छूटती महसूस हुई जब इन देशों ने खोमैनी के साथ वार्ता करने की बात कही. अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने ही शाह को अमेरिका में शरण देने की पेशकश रखी जिसे शाह ने स्वीकार भी कर लिया.
एक अलग थलग सा नेता
अपने विरोधियों को शांत करने की कोशिश में पहले शाह ने विपक्षी नेशनल फ्रंट के नेता शापोर बख्तियार को अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया था. यह कदम कामयाब नहीं रहा और बख्तियार को उनकी पार्टी ने ही इस बात के लिए दल से निष्कासित कर दिया. अन्य पार्टियों के नेता केवल खोमैनी के साथ ही काम करने को तैयार थे.
सेंट्रल सीमेट्री का ऐतिहासिक भाषण
तेहरान पहुंचते ही खोमैनी ने यह साफ किया कि वह बख्तियार की सरकार को नहीं मानते. हजारों की भीड़ के सामने सेंट्रल सीमेट्री में दिए अपने जोरदार भाषण में खोमैनी ने शाह की राजशाही व्यवस्था और संसद पर सवाल खड़े किए. उन्होंने घोषणा की कि वह खुद अकेले ही ईरान की नई सरकार चुनेंगे.
देश भर में हुए दंगे
इस घोषणा से तेहरान और दूसरे कई शहरों में शाह के समर्थकों और क्रांतिकारियों के बीच हिंसक मुठभेड़ें होने लगीं. कई दिनों तक सड़कों पर हिंसा होती रही और सेना को कर्फ्यू लगाना पड़ा.
अंतरिम प्रधानमंत्री
5 फरवरी 1979 को खोमैनी ने नेशनल फ्रंट के ही नेता मेहदी बजार्गन को अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया. मगर केवल 9 महीने बाद ही बजार्गन को तेहरान के अमेरिकी उच्चायोग में हुए बंधक कांड के बाद इस्तीफा देना पड़ा.
देश ने मनाई खुशियां
इस पूरे घटनाक्रम के शांत होने के बाद बजार्गन को फिर से अंतरिम प्रधानमंत्री के पद पर लाया गया जिसका ज्यादातर ईरानियों ने स्वागत भी किया. सेना ने इस सत्ता संघर्ष से बाहर रहने की घोषणा की. अब तक बख्तियार ने जनसमर्थन पूरी तरह खो दिया था और सशस्त्र खोमैनी समर्थकों के घेराव के बाद वे अप्रैल 1979 में फ्रांस भाग गए.
सेना की ओर शुभकामनाएं
तस्वीर में ईरानी वायु सेना के अधिकारी खोमैनी को शुभकामना देते हुए दिखाई दे रहे हैं. सेना की होनाफार यूनिट ने क्रांति में अहम भूमिका निभाई और जनक्रांति के दौरान उन्होंने लोगों को अपने हथियार मुहैया करवाए. 9 फरवरी को इंपीरियल गार्ड ने होनाफार बेस पर हमला बोला था.
राजशाही का अंत
समय के साथ साथ इंपीरियल गार्ड और लोगों के बीच लड़ाई और बढ़ी और 11 फरवरी 1979 को शासन का अंत हुआ. तब तक क्रांतिकारियों ने संसद, सीनेट, टीवी प्रसारण संस्थाओं और दूसरे सरकारी दफ्तरों पर कब्जा जमा लिया. इसके बाद ही वहां राजशाही के अंत की घोषणा हुई. तबसे लेकर आज तक ईरानी लोग 11 फरवरी को 'इस्लामी क्रांति' की वर्षगांठ के तौर पर मनाते हैं.