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ईयू में सुधारों पर ब्रिटेन की पहल

२६ मई २०१५

ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन यूरोपीय संघ में बदलाव के पक्षधर हैं और उन्हें उम्मीद है कि जनमत संग्रह में ब्रिटेन ईयू में सदस्यता को चुनेगा. डॉयचे वेले के क्रिस्टोफ हासेलबाख मानते हैं कि इस बात की पूरी संभावना है.

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Premier David Cameron mit britischer und EU-Flagge
तस्वीर: picture-alliance/dpa

ब्रिटेन में पिछले दिनों हुए आम चुनाव में कैमरन की कंजरवेटिव पार्टी की पूर्ण बहुमत से जीत हुई. कैमरन इस बारे में स्पष्ट हैं कि वे ईयू में सुधार चाहते हैं. उन्हें लगता है कि उसके बाद उनके देशवासियों के पास जनमतसंग्रह में ईयू को छोड़ने की कोई वजह नहीं होनी चाहिए.

जनमत संग्रह 2017 के अंत तक होना है. कैमरन खुद जनमत संग्रह कराने के समर्थक हैं. एंडी बरमन, जिनके लेबर पार्टी का नया प्रमुख बनने की संभावना है, भी जल्द जनमत संग्रह के पक्ष में हैं. बैंक ऑफ इंग्लैड के गवर्नर मार्क कारनी ने भी जनमत संग्रह पहले कराए जाने का पक्ष लिया है. उनका कहना है कि ब्रिटिश अर्थव्यवस्था को सबसे बड़ा फायदा "यूरोपीय बाजार तक पहुंच होने से है, जो कि विश्व में सबसे बड़ी है."

यूके के टूटने का खतरा

ईयू की सदस्यता के क्या आर्थिक फायदे हैं यह लंदन के बैंकों या अन्य महत्वपूर्ण कंपनियों को समझाने की जरूरत नहीं है. हालांकि देश में सबसे बड़ी राजनीतिक दलील यह हो सकती है कि इससे यूनाइटेड किंगडम के टूटने का खतरा है. पिछले साल स्कॉटलैंड की स्वतंत्रता के लिए हुए जनमतसंग्रह में भले ही स्कॉटिश पार्टी को हार मिली हो लेकिन आम चुनाव में पार्टी को स्कॉटलैंड की लगभग सभी सीटों पर जीत मिली. पार्टी लेफ्ट की तरफ है और यूरोप की मजबूत समर्थक है.

Christoph Hasselbach
तस्वीर: DW/M.Müller

अगर ब्रिटेन के ज्यादातर मतदाता ईयू से बाहर निकलना तय करते हैं और स्कॉटलैंड ईयू में रहने के पक्ष में वोट करता है, तो स्कॉटलैंड के पास ब्रिटेन से अलग होने का बड़ा तर्क मौजूद होगा. यह कैमरन की कंजरवेटिव पार्टी के लिए धक्का होगा. यूनाइटेड किंगडम को एक साथ रखने के लिए वह यूरोपीय संघ से अलग होने का खतरा आसानी से मोल नहीं लेंगे.

यूरोपीय सहानुभूति

यह देखना होगा कि क्या कैमरन यूरोप के अन्य नेताओं को ईयू में बदलावों के लिए तैयार कर पाते हैं. सहमति के कुछ संकेत तो दिखाई देते हैं, हालांकि ईयू सरकार के अहम सदस्यों की तरफ से नहीं. लेकिन यह रणनीति हो सकती है.

जैसे कि, फ्रांस में यूरोपीय मामलों के राज्य मंत्री हार्लेम डेसिर ने यूरोपीय कमीशन के कानून बनाने के प्रेम को झिड़कते हुए कहा, "हम मानते हैं कि यह कमीशन के लिए अच्छी बात नहीं कि वह जैतून के तेल से टॉयलेट के फ्लश तक हर चीज पर कानून बनाता रहे." उन्होंने माना कि समझौतों में परिवर्तन के बगैर ईयू में सुधार करने की गुंजाइश है.

जर्मनी की सीएसयू पार्टी के नेता आंद्रेयास शॉयर ब्रिटिश चुनाव के नतीजों को महत्व देते हुए मानते हैं कि उस तरह के यूरोप की कल्पना करने का समय आ गया है जैसा हम चाहते हैं. स्कैंडिनेविया और नीदरलैंड्स ने भी ऐसी ही सोच जाहिर की है. हालांकि कैमरन ने अब तक बदलावों के लिए कोई प्रस्ताव नहीं पेश किए हैं, लेकिन इस मामले पर कई देशों की तरफ से सकारात्मक रुख है.

कैमरन की बहादुरी

ज्यादा बड़ा खतरा यूरोपीय मंच पर कैमरन के हाव भाव का है. अपने रूखेपन के लिए जाने जाने वाले कैमरन ब्रसेल्स में भी अपने कई दोस्तों को नाराज कर चुके हैं. अगर वे मजबूत साझेदारी की ओर देख रहे हैं तो उन्हें मौन सहमति को असल समर्थन की तरह दिखाना होगा. सबसे पहले, उन्हें बदलाव के ऐसे प्रस्ताव पेश करने की जरूरत है जिसे सिरे से खारिज ना कर दिया जाए.

बहुत से नेता खामोशी से कैमरन को उनकी हिम्मत के लिए पसंद करते हैं कि वह जनमतसंग्रह करवा रहे हैं. परिणाम जो भी हो, जनमतसंग्रह से इस मामले में स्पष्टता तो आएगी. किसी एक देश के पास ही नहीं बल्कि पूरे ईयू के पास इस समय यूरोपीय स्तर पर रुख के स्पष्टीकरण का मौका है.