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कठिन सहयोगी हैं ईयू और भारत

बैर्न्ड रीगर्ट/एमजे३१ मार्च २०१६

भारत और यूरोपीय संघ की चार साल बाद हो रही शिखर भेंट को एक नई शुरुआत होना था. लेकिन इटली के नौसैनिकों पर भारत में चल रहे मुकदमे को लेकर इटली और भारत का विवाद इस नए तालमेल पर धुंध डाल रहा है.

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Belgien Brüssel EU-Gipfel Narendra Modi & Donald Tusk & Jean-Claude Juncker
तस्वीर: Reuters/Y. Herman

ब्रसेल्स में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूरोपीय संघ के नेताओं ने दोनों आर्थिक सत्ताओं के बीच संबंधों की नई शुरुआत की संभावना पर अच्छे भाषण दिए. भारत और यूरोपीय संघ के झंडों के साथ एक दूसरे से हाथ मिलाए गए. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "यूरोपीय संघ भारत के महत्वपूर्ण सामरिक सहयोगियों में शामिल है." यूरोपीय संघ के दस्तावेजों में भी सामरिक सहयोगी भारत के बारे में बहुत कुछ लिखा है, लेकिन जिसके साथ चार साल तक कोई उच्चस्तरीय मुलाकात नहीं हुई.

इटली का मुकदमा

इसी अवधि में यूरोपीय संघ का सदस्य इटली द हेग के इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन में भारत के खिलाफ मुकदमा करने की कोशिश कर रहा था. मामला इटली के दो नौसैनिकों का है जिन पर 2012 में दो भारतीय मछुआरों को मारने का आरोप है. भारत उन पर मुकदमा चलाना चाहता है जबकि इटली का कहना है कि भारतीय अदालतें उसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं. उनमें से एक दिल्ली में इटैलियन राजदूत के यहां रह रहा है और दूसरे को इलाज के लिए इटली जाने दिया गया है लेकिन सैद्धांतिक रूप से जल्द ही भारत वापस लौटना होगा. इटली के प्रधानमंत्री मातेओ रेंत्सी पर सैनिकों को वापस घर लाने का भारी दबाव है. इसलिए उन्होंने भारत के साथ ईयू के शिखर सम्मेलन का दिन मुकदमा दायर करने के लिए चुना.

Italien Indien Marinesoldaten Salvatore Girone and Massimiliano Latorre in Rom
इन इटौलियन नौसैनिकों पर है आरोपतस्वीर: picture-alliance/AP

यूरोपीय राजनयिकों का कहना है कि इसकी वजह से प्रधानमंत्री मोदी के साथ ईयू अध्यक्ष डोनाल्ड टुस्क और आयोग प्रमुख जाँ क्लोद युंकर के बीच पहले से ही मुश्किल बातचीतों का माहौल कोई बेहतर नहीं हुआ. दोनों पक्ष भारत और यूरोपीय संघ के 28 देशों के बीच व्यापारिक संबंध बेहतर बनाना चाहते हैं. लेकिन जब तक इटली के साथ विवाद का निबटारा नहीं होता है, दोनों के बीच कोई औपचारिक सहमति नहीं होगी. 2012 के बाद से दोनों पक्षों के बीच कोई शिखर भेंट नहीं हुई है. मामले को यह बात और भी जटिल बना रही है कि भारत के साथ संबंधों के लिए जिम्मेदार ईयू विदेशनीति प्रभारी फेडेरिका मोगेरिनी इटली की हैं. भारत ने उन पर नई शुरुआत में बाधा डालने का आरोप लगाया है. ईयू में आने से पहले मोगेरिनी इटली की विदेशमंत्री थीं और इसलिए दोनों नौसैनिकों के लिए भी जिम्मेदार थीं.

खुला कारोबार

इटली के नौसैनिकों वाले मामले से पहले भी मुक्त व्यापार संधि के बारे में दोनों पक्षों के बातचीत कठिन और दुरूह थी. कस्टम, बाजार में प्रवेश, निवेश की सुरक्षा और बौद्धिक संपदा के मामले में कई अस्पष्ट सवाल हैं. यूरोपीय कार उद्योग भारत में लगाए जाने वाले भारतीय कस्टम ड्यूटी से मुक्ति चाहता है. उभरते भारत में छोटी कारों के लिए 1.25 अरब लोगों का बड़ा बाजार है. भारी कस्टम ड्यूटी के साथ भारत अपने कार निर्माता टाटा की सुरक्षा कर रहा है. भारत किफायती दवाओं का उत्पादन जारी रखना चाहता है जो दरअसल यूरोपीय दवाओं की नकल हैं. ईयू यहां पेटेंट और मिल्कियत सुरक्षा में बेहतरी चाहता है. इसके अलावा ईयू ने भारत में 700 जेनेरिक दवाओं का लाइसेंस रद्द कर दिया है क्योंकि उसे लाइसेंस के लिए सौंपी गई स्टडीज के बारे में संदेह था. भारत फिर से लाइसेंस चाहता है.

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भारत में बनने वाली जेनेरिक दवाएंतस्वीर: picture-alliance/dpa

दूसरे इलाकों में कस्टम की बाधाएं घटाने में कामयाबी मिली है. लेकिन भारत सॉफ्टवेयर उत्पादों तथा अपने आईटी इंजीनियरों के लिए यूरोप को खोलने की मांग कर रहा है. ब्रसेल्स में करीब दो घंटे की बातचीत के बाद यूरोपीय संघ और भारत ने कहा कि दोनों पक्ष मुक्त व्यापार संधि के लिए बातचीत फिर से शुरू करना चाहते हैं.इसके अलावा पर्यावरण सुरक्षा, परिवहन और ऊर्जा नीति तथा आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में भी दोनों पक्ष गहन संवाद कर रहे हैं. शिखर भेंट में कोई ठोस फैसले नहीं लिए गए.

जारी बाधाएं

यूरोपीय संघ के साथ भारत के संबंधों के बेहतर होने से जर्मन अर्थव्यवस्था को अच्छा कारोबार होने की उम्मीद है. जर्मन उद्योग संघ के श्टेफान मायर कहते हैं, "भारत प्रगति कर रहा एक महत्वपूर्ण बाजार है, लेकिन बाजार में प्रवेश की बाधाएं काफी ऊंची हैं." उनके विचार में ईयू के साथ मुक्त व्यापार संधि भारतीय बाजार में जर्मन उद्योग के प्रवेश में मील का पत्थर साबित होगा. संबंधों में उतनी गरमाहट ना होने के बावजूद ईयू भारत का सबसे महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार है. ईयू आयोग के आंकड़ों के अनुसार दोनों के बीच सालाना 70 अरब यूरो का कारोबार होता है.

Frankreich Villers-Cotterets Volkswagen
निर्यात के लिए खड़ी कारेंतस्वीर: picture-alliance/dpa/F. Nascimbeni

भारत के बड़े बाजार के साथ मुक्त व्यापार संधि की कामयाबी इटली के साथ विवाद के निबटारे के अलावा कुछ दूसरे मुकदमों पर भी निर्भर है. जनवरी में एक भारतीय अदालत ने एस्तोनिया और ब्रिटेन के नागरिकों को भारत के हथियार कानूनों को तोड़ने के आरोप में सजा सुनाई है. वे दक्षिण भारतीय तट के पास समुद्र में एक जहाज पर समुद्री डाकूओं से सुरक्षा के लिए सुरक्षाकर्मियों के रूप में तैनात थे. जब तक इन मामलों का संतोषजनक समाधान नहीं होता एस्तोनिया और ब्रिटेन भारत के साथ मुक्त व्यापार संधि किए जाने को रोक सकते हैं.