इस्राएल ने विवाद में भारत पाकिस्तान को घसीटा
२ जून २०१०इस्राएल ने कहा है कि भारत और पाकिस्तान में पिछले एक महीने में अलग अलग घटनाओं में 500 लोगों की मौत हुई है. वहां हुई ऐसी घटनाओं को नज़रअंदाज़ किया जाता है और हमारी पूरी तरह से रक्षात्मक कार्रवाई की निंदा की जाती है.
इस्राएली विदेश मंत्री एविग्डोर लीबरमान के बयान में संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून को याद दिलाया गया है कि थाइलैंड, अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान, इराक़ और भारत में अलग अलग घटनाओं में सिर्फ पिछले महीने में ही 500 लोग मारे गए. इस दौरान अंतरराष्ट्रीय समुदाय निष्क्रिय और चुप रहा और घटनाओं को नज़रअंदाज़ किया. इस्राएल को रक्षात्मक कार्रवाई के लिए लताड़ा जा रहा है.
यह पहली बार है कि इस्राएल ने भारत को इस तरह के किसी विवाद में घसीटा हो. नई दिल्ली पहले ही सहायता सामग्री ले जा रहे जहाज पर हमले की आलोचना कर चुका है. भारत का कहना था कि इस तरह हमले के लिए कोई सफाई नहीं दी जा सकती.
बताया जाता है कि इस्राएल ने बान को कहा कि गज़ा जा रहे जहाज़ पर हमला इस्राएली सैनिकों का मूलभूत अधिकार था. "आतंकियों या फिर गैंग जो गुट में इकट्ठा हों और जो अपने हाथों में डंडे और चाकू लेकर खड़े हों, उनके हमले से खुद के बचाव करने का उन्हें पूरा हक़ है."
लीबरमान को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के व्यव्हार का पश्चाताप है. लीबरमान ने कहा, "राहत सामग्री व्यवस्थित तरीके से भेजने का इस्राएल का तुर्क सरकार को प्रस्ताव जहाज़ प्रबंधकों ने खारिज कर दिया." इस्राएल के विदेश मंत्रालय ने राहत सामग्री ले जा रहे लोगों को इस्राएल की संप्रभुता में दखल और उकसाने वाली कार्रवाई में शामिल होने वाला बताया जिसके कारण खून खराबा हुआ.
उधर तुर्की ने कहा है कि आपसी संबंध सामान्य करने के लिए इस्राएल गज़ा से तुरंत नाकेबंदी हटा ले. लेकिन साथ ही तुर्की ने ये भी कहा है कि राहत सामग्री वाले जहाज़ पर हमले के बाद मामले में शांति की जगह गुस्से ने ले ली है. इस्राएल के विदेश मंत्री अहमत दावुतोग्लू ने कहा कि इस्राएल के साथ संबंध अब इस्राएल के रुख पर निर्भर है. "अगर गज़ा नाकेबंदी हटा लेता है तो इस्राएल के साथ संबंध सामान्य नहीं करने का कोई कारण नहीं है."
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा मोंढे
संपादनः ए जमाल