इस्राएल की जमीन पर भारतीय प्रधानमंत्री का पहला कदम
४ जुलाई २०१७ये पहली बार है कि भारत का कोई प्रधानमंत्री इस्राएल के दौरे पर है लेकिन इस्राएल की सरकार जिस उत्साह से किसी नेता का स्वागत करने में जुटी है वह भी अप्रत्याशित है. इस्राएल में लंबे समय से रह रहे भारतीय पत्रकार हरिंद्र मिश्रा कहते हैं, "आमतौर पर यहां स्वागत के लिए इतना जोश तो पोप या फिर अमरीकी राष्ट्रपतियों के लिए ही नजर आता है."
नरेंद्र मोदी की अगवानी के लिए इस्राएली प्रधानमंत्री खुद एयरपोर्ट पर मौजूद थे और इतना ही नहीं पूरे तीन दिन के कार्यक्रम में नेतन्याहू ने ज्यादा से ज्यादा वक्त उनके साथ बिताने की ठानी है. नेतन्याहू ने बाकायदा अधिकारियों से कहा है कि जितना संभव हो उन्हें प्रधानमंत्री मोदी के साथ कार्यक्रम में शामिल किया जाए. उन्होंने कई मौकों पर नरेंद्र मोदी को "मेरे दोस्त" कह कर संबोधित किया है और वो लगातार ये दिखाने की कोशिश में हैं कि उनके और मोदी के संबंध दोस्ताना हैं.
प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू आखिर इसके जरिये क्या दिखाना चाहते हैं. हरिंदर मिश्रा कहते हैं, "नेतन्याहू इन कोशिशों के जरिए अपने देश की जनता को बताना चाहते हैं कि उनके नेतृत्व में देश मजबूत हो रहा है, उसकी स्वीकार्यता बढ़ रही है, चीन और भारत जैसे देश यहां तक कि अरब मुल्कों तक भी उनकी पहुंच बन रही है."
आज की रात ही नेतन्याहू भारतीय प्रधानमंत्री को अपने आवास पर रात्रिभोज दे रहे हैं. इसके लिए खासतौर से पूरी तरह शाकाहारी भोजन तैयार कराया जा रहा है. आज रात के अलावा कल दिन में करीब चार घंटे तक दोनों नेता आपस में पहले अकेले और फिर प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत करेंगे.
भारत और इस्राएल के बीच लंबे समय से सहयोग चला आ रहा है लेकिन अब तक किसी प्रधानमंत्री ने इस्राएल का दौरा नहीं किया. भारत इस्राएल से रक्षा मामलों में सहयोग चाहता है. कई किस्म के हथियार, रडार और दूसरे रक्षा उपकरण भी हैं जिनकी भारत को जरूरत है और जो इस्राएल से उसे मिल सकता है. हालांकि नरेंद्र मोदी के दौरे पर इन मामलों में कोई विशेष चर्चा नहीं होनी है.
एयरपोर्ट पर उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर देने के बाद एक कृषि फार्म ले जाया जा रहा है. भारत इस्राएल से कई तरह की तकनीक हासिल करना चाहता है और इस बार की यात्रा में ज्यादा ध्यान इन तकनीकों पर ही है. प्रधानमंत्री पानी साफ करने वाले एक संयंत्र का भी दौरा करेंगे. कई और तकनीकों पर बातचीत होनी है.
भारतीय प्रधानमंत्री होलोकॉस्ट म्यूजियम में तो जाएंगे ही उस बच्चे से भी मुलाकात करेंगे जिसके मां बाप मुंबई हमले में मारे गए थे. इस्राएल में करीब 80 हजार भारतीय लोग रहते हैं. नरेंद्र मोदी यहां रह रहे भारतीय समुदाय को भी एक विशेष आयोजन में संबोधित करेंगे.
इस पूरी यात्रा में फलस्तीनी प्राधिकरण के किसी अधिकारी से उनकी मुलाक़ात नहीं होगी. आमतौर पर ऐसा नहीं होता लेकिन भारत का कहना है कि इस्राएल और फलस्तीन के साथ भारत का संबंध अलग अलग है और इसे आपस में जोड़ कर नहीं देखा जाना चाहिए. हालांकि हरिंदर मिश्रा कहते हैं, "जमीनी तौर पर इन्हें अलग कर देख पाना संभव नहीं है. भले ही भारत इस दौरे को पूरी तरह से द्विपक्षीय कह के अलग दिखाए." हाल ही में फलस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने दिल्ली का दौरा किया था और उस दौरान भी यह बात उठी थी लेकिन तब भी भारत का यही जवाब था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने तीन साल के कार्यकाल में विदेश दौरों से खूब सुर्खियां बटोरी है. विपक्ष इन दौरों को पूरी तरह से नाकाम और बेकार कहता है लेकिन प्रधानमंत्री इन सबके जरिए लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं. उन्होंने ऐसे इलाक़ों में भी कदम रखे हैं जहां आज तक किसी और प्रधानमंत्री ने जाने की नहीं सोची. ये और बात है कि इन सब के बाद भी भारत के कई देशों के साथ संबंध अच्छे नहीं चल रहे हैं. अब ये चाहे पड़ोसियों के साथ की खींचतान हो या फिर किसी और देश के साथ. बहरहाल इस्राएल दौरे से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया को क्या संदेश देते हैं फिलहाल तो दुनिया यही जानना चाहती है.