1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

मुझे सिगरेट से जलाया: आरवीएस मणि

२ मार्च २०१६

गृह मंत्रालय के एक पूर्व अफसर आरवीएस मणि के बयान से इशरत जहां मामले में नया मोड़ आया है. बीजेपी ने कांग्रेस से कहा, बेकसूर हो तो साबित कर के दिखाओ.

https://p.dw.com/p/1I5Wg
Indien Studentin Ishrat Sheikh auch Ishrat Jehan durch Polizei getötet
तस्वीर: picture-alliance/AP

इशरत जहां मामले में गृह मंत्रालय के एक पूर्व अफसर आरवीएस मणि का कहना है कि उनसे जबरन दूसरा हलफनामा लिखवाया गया. इसमें इशरत जहां और उसके साथियों प्रणेश पिल्लई, अमजद अली राणा और जीशान जौहर के आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा से तार होने की बात को हटाया गया. न्यूज चैनल टाइम्स नाउ को दिए एक इंटरव्यू में मणि ने यूपीए सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा, "मुझे एफिडेविट फाइल करने के निर्देश मिले थे. ये निर्देश सरकार द्वारा दिए गए थे, इसलिए मैंने उन पर हस्ताक्षर कर दिए."

मणि ने इस ओर भी इशारा किया कि हलफनामे को उस समय के गृह मंत्री पी चिदंबरम के कहने पर तैयार किया गया. उन्होंने कहा, "उसे मेरे स्तर पर तैयार नहीं किया गया था. अगर गृह सचिव ने एफिडेविट फाइल नहीं किया, तो जाहिर है कि किसने किया होगा. गृह मंत्रालय में सबसे ऊंचा अधिकारी गृह सचिव है. आप आसानी से निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं."

सिगरेट से जलाया

मणि ने इंटरव्यू के दौरान यह भी कहा कि इशरत मामले में उन्हें प्रताड़ित किया गया था. आईपीएस अधिकारी सतीश वर्मा का नाम लेते हुए उन्होंने कहा, "सतीश वर्मा ने मेरे साथ जो किया, वह बयान भी नहीं किया जा सकता. 21 जून 2013 को सतीश वर्मा ने मुझे सिगरेट से जलाया." उन्होंने कहा कि कई लोगों ने उनका पीछा किया और कई अधिकारियों ने डराया धमकाया, "एक वक्त ऐसा आया जब मुझे लगा कि अब मैं इससे आगे काम नहीं कर पाऊंगा. मेरे खिलाफ बेबुनियाद मामले बना दिए गए थे."

मणि से पहले पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लई भी कह चुके हैं कि इशरत मामले में राजनीतिक दबाव था. उन्होंने भी माना था कि इस मामले में जमा कराए गए दोनों हलफनामे एक दूसरे से बिलकुल भी मेल नहीं खाते.

सुनवाई नहीं

यह मामला पिछले दो साल से सीबीआई की अदालत में फंसा है. जुलाई 2013 में सीबीआई ने पहली चार्जशीट फाइल की. इसमें सात पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मामला बनाया गया. सीबीआई ने चार्जशीट में कहा कि इशरत जहां और तीन अन्य लोगों का एनकाउंटर फर्जी था और यह गुजरात पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की मिलीभगत थी.

फरवरी 2014 में सीबीआई ने दूसरी चार्जशीट फाइल की. इस बार आईबी के विशेष निदेशक राजेंद्र कुमार पर आईपीसी की धारा 302 के तहत कत्ल, 120बी के तहत आपराधिक साजिश, 364 के अंतर्गत कत्ल के इरादे से अपहरण के मामले बनाए गए. इसके अलावा कुमार की टीम के तीन अन्य अफसरों पी मित्तल, एमके सिन्हा और राजीव वांखेड़ पर भी मामले दर्ज किए गए. लेकिन इस मामले में अब तक सुनवाई नहीं हो सकी है.

वहीं बीजेपी ने इस मामले में पी चिदंबरम, मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी, तीनों ही को घेरे में लिया है और कहा है कि यदि वे बेकसूर हैं, तो उसे साबित कर के दिखाएं. इस पर सोनिया गांधी ने नई दिल्ली में कांग्रेस की मीटिंग के दौरान कहा है कि उन्हें केवल इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि उस समय उनकी सरकार सत्ता में थी

आईबी/एमजे (पीटीआई)