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इराक में आत्मघाती हमला, 43 की मौत

१८ जुलाई २०१०

इराक के रदवानिया शहर में सैनिक कार्यालय पर हुए आत्मघाती हमले में कम से कम 43 लोगों की मौत और 40 लोग घायल. जिस ऑफिस पर यह हमला हुआ है वहां अल कायदा के खिलाफ लड़ने वाले लड़ाके अपना वेतन लेने के लिए एकत्र हुए थे.

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पहले भी हो चुके हैं हमलेतस्वीर: AP

इराक की राजधानी बगदाद से करीब 25 किलोमीटर दूर रदवानिया शहर में यह हमला स्थानीय समयानुसार सुबह 8.30 बजे हुआ. इराक के गृह मंत्रालय के मुताबिक घायलों में दो सैनिक भी शामिल हैं. हमले में बचे 20 वर्षीय तयसीर मेहसन ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को बताया, "तीन लाइनों में करीब 85 लोग अपनी तनख्वाह लेने के लिए खड़े थे जब एक व्यक्ति हमारी ओर बढ़ा." उसी दौरान यह विस्फोट हो गया.

हमले में हताहत हुए ज्यादातर लोग साहवा (जागृति) गुट के लड़ाके हैं जो एक सुन्नी हथियारबंद गुट है. 2006 में अमेरिका की मदद से इस गुट के सदस्यों ने अल कायदा के खिलाफ हथियार उठा लिए थे और तब से यह अल कायदा के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है. माना जाता है कि इसी गुट की वजह से इराक में चरमपंथी हमलों में कमी आई और अल कायदा के पक्ष में जा रही लड़ाई को इसने अमेरिका के पक्ष में मोड़ा.

इस गुट के सदस्य या तो कबाइली हैं या फिर वे पहले विद्रोही रह चुके हैं. पहले साहवा का संचालन अमेरिकी सेना के नेतृत्व में हो रहा था और तब इसके सदस्यों को 300 डॉलर प्रतिमाह मिलते थे. लेकिन अक्टूबर 2008 में इसका नेतृत्व इराक सरकार करने लगी और लड़ाकों की तनख्वाह 300 डॉलर से घटाकर 100 डॉलर प्रतिमाह कर दी गई.

सरकार की कोशिश है कि साहवा के 20 फीसदी लड़ाकों को पुलिस और सुरक्षा बलों में भर्ती किया जाए लेकिन यह प्रक्रिया धीमी है और इसमें खतरा भी बहुत है. पिछले छह महीनों में कई साहवा लड़ाके और उनके परिवारजन बदला लेने के लिए हुए हमलों में मारे जा चुके हैं. साहवा लड़ाकों की मुश्किल यह है कि अल कायदा तो उनसे बदला लेना चाहता ही है, इराक की शिया सरकार भी उन्हें संदेह की नजर से देखती रही है.

अमेरिकी और इराकी अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही इराक में गठबंधन सरकार पर सहमति नहीं बन पाई तो देश में हमले बढ़ सकते हैं और चरमपंथी गुट इराक को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं. सात मार्च को हुए चुनाव में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिल पाया है और पूर्व प्रधानमंत्री इयाद अलावी और प्रधानमंत्री नूरी अल मलिकी की पार्टी सरकार बनाने की कोशिशों में जुटी है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: आभा एम