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इराक की जिहादियों से लड़ने की अपील

२५ अगस्त २०१४

इस्लामिक स्टेट से लड़ने के लिए इराक ने विश्व समुदाय से समर्थन की अपील की है. वहीं शिया देश ईरान ने कहा है कि वह इराक का जिहादियों से मुकाबला करने में मदद कर रहा है, लेकिन जमीनी मदद नहीं मुहैया करा रहा है.

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Flughafen von Tabka von ISIS eingenommen
तस्वीर: Reuters

इराक देश के महत्वपूर्ण शहरों पर दोबारा कब्जे करने के लिए संघर्ष कर रहा है. जून के महीने में कट्टरपंथी संगठन इस्लामिक स्टेट ने मोसुल पर कब्जा जमा लिया था. सुरक्षाबलों के भागने की वजह से इस्लामिक स्टेट ने सुन्नी बहुल इलाकों में भी पैर पसार लिए. उत्तरी इराक में जिहादी लड़ाकों पर 8 अगस्त से अमेरिका हवाई हमले कर रहा है. अमेरिकी हवाई हमले के हालात में कुर्द लड़ाकों को खोई हुई जमीन वापस लेने में मदद मिल रही है.

रविवार को कुर्द लड़ाकों ने कराज इलाके को दोबारा अपने कब्जे में कर लिया. पेशमर्गा स्टाफ कर्नल सलीम अल सोर्ची ने कहा, "हमने आईएस के बंदूकधारियों पर सुबह हमला बोला." कराज इलाका मोसुल के दक्षिण पू्र्व में पड़ता है. दो घंटे की लड़ाई के बाद जिहादी वहां से भाग खड़े हुए. एक पुलिस अधिकारी और चश्मदीद के मुताबिक इराकी सुरक्षाबलों ने चरमपंथियों को देश के सबसे बड़ी ऑयल रिफाइनरी बैजी से मार भगाया है, जिसपर उन्होंने कुछ दिनों पहले कब्जा कर लिया था.

अंतरराष्ट्रीय समर्थन का आह्वान

इराक के विदेश मंत्री होशयार जेबारी ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अधिक से अधिक समर्थन का आग्रह किया है. ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ के साथ बगदाद में हुई मुलाकात के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जेबारी ने कहा, "इराक को सभी लोगों से मदद और समर्थन की जरूरत है. आतंकवाद के खिलाफ सभी ताकतों की जरूरत है. लेकिन सैनिकों के रूप में नहीं. क्योंकि लड़ाई लड़ने वाले जवानों की यहां कोई कमी नहीं है."

दो दिवसीय बगदाद यात्रा पर पहुंचे जरीफ ने कहा कि ईरान इराक के साथ काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि आईएस के खिलाफ व्यापक प्रयासों की जरूरत है. जरीफ के मुताबिक "हम कुर्द सरकार और इराकी सरकार के साथ सहयोग और मिलकर काम कर रहे हैं ताकि इस गंभीर और भयानक समूह को मार भगाया जाए." जरीफ का कहना है, "यह भयानक नरंसहार को अंजाम दे रहा है और मानवता के खिलाफ अपराध कर रहा है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय और क्षेत्र के हर देश को इससे निपटना जरूरी है."

जरीफ ने कहा कि वे इस बात को नहीं मानते कि इस समस्या से निपटने के लिए ईरानी सैनिकों की जरूरत है. ऐसी रिपोर्टें हैं कि इराक में ईरानी सैनिक मौजूद हैं और जरीफ के इनकार के बावजूद ऐसे सबूत हैं जिससे पता चलता है कि तेहरान ने सैनिकों को इस काम के लिए लगाया है. पिछले दिनों एक ईरानी पायलट की मौत हो गई थी, ईरानी मीडिया ने तब कहा था कि इराक में लड़ते हुए उसकी मौत हुई. इसके अलावा ईरानी एसयू 25 लड़ाकू विमान भी इराक में मौजूद हैं.

सीरिया पर आईएस की पकड़

पिछले दो हफ्ते में अमेरिका ने आईएस के ठिकानों पर 90 से ज्यादा हवाई हमले किए हैं. उसका कहना है कि आईएस के खिलाफ सीरिया में भी ऑपरेशन की जरूरत हो सकती है. रविवार को आईएस के चरमपंथियों ने सीरिया के तब्का एयरबेस पर खूनी संघर्ष के बाद कब्जा कर लिया. तब्का सैन्य हवाई अड्डा रक्का प्रांत में बशर अल असद सरकार का अंतिम मजबूत गढ़ था.

सीरिया में मानव अधिकारों पर निगरानी रखने वाली संस्था ने कहा है कि एयरपोर्ट पर पिछले मंगलवार से जारी लड़ाई में 346 जिहादी और 25 सीरियाई सैनिक मारे गए इसके अलावा 170 सैनिक रविवार को खूनी संघर्ष में मारे गए. अमेरिकी पत्रकार जेम्स फॉली की हत्या के बाद अमेरिका ने इसे अपने देश के खिलाफ आतंकवादी हमला करार दिया है. अमेरिकी हवाई हमले का बदला लेने के लिए आईएस ने फॉली की हत्या की थी और इसका वीडियो भी जारी किया था.

सीरिया और इराक में सफलता के बाद आईएस के लिए समर्थन बढ़ रहा है. मानवाधिकार निगरानी संस्था के रामी अब्देल रहमान के अनुसार इस हफ्ते करीब 300 विपक्षी छापामार आईएस में शामिल हो गए. संगठन के अनुसार इस बीच आईएस के साथ करीब 50,000 लड़ाके हैं जिनमें से 20,000 अरब और यूरोपीय देशों से आए विदेशी हैं. इसकी वजह आईएस की सैनिक सफलता के अलावा संगठन द्वारा लड़ाकों को दी जा रही मोटी तनख्वाह है.

एए/एमजे (एएफपी)