इथियोपिया का बिजली पानी संकट
३० अगस्त २०१३आर्थिक विकास की बात होती है तो इथियोपिया जैसे देशों पर नजर नहीं पड़ती. गरीबी से लड़ता इथियोपिया कई सालों से आठ-नौ फीसदी की रफ्तार से विकास कर रहा है. यहां वन्य जीवन से भरपूर टाना झील का इलाका है. 1800 मीटर की ऊंचाई पर बनी इस झील से दुनिया की सबसे लंबी नदी नील की सहायक ब्लू नाइल नदी निकलती है. गर्मियों में पानी कम होने के बावजूद झरने करीब 40 मीटर चौड़े रहते हैं. मुहाने पर बना डैम पानी को नियंत्रित करता है.
अब एक बड़ा बांध बनाने की तैयारी हो रही है. दक्षिणी इथियोपिया के कई गांवों में ना तो सड़कें हैं और ना ही बिजली. यहां हमार समुदाय के लोग रहते हैं. इन तक बिजली और सड़क पहुंचाने की तैयारी हो रही है. 21वीं सदी के विकास की आहट धीरे धीरे यहां पहुंच रही है. यहां रहने वाले एक आदिवासी केलो गाओ बताते हैं, "यहां अब तक बिजली नहीं है. फोन चार्ज करने के लिए मुझे चार घंटे पैदल चलना पड़ता है. हमें पानी भरने के लिए भी बहुत दूर जाना पड़ता है. हमें उम्मीद है कि जल्द ही यहां सारे घरों में बिजली और पानी होगा. इससे हमारी जिंदगी आसान होगी."
सबसे बड़ा बिजली उत्पादक
गांवों में पीने के साफ पानी का संकट है. मटमैले पानी के लिए भी मशक्कत करनी होती है. सरकार हालात बदलना चाहती है. देश को अफ्रीका का सबसे बड़ा बिजली उत्पादक बनाना चाहती है. बांध पर काम जारी है. कपास के किसान भी उत्साहित हैं, उम्मीद है कि बिजली आएगी तो फैक्ट्रियां भी लगेंगी.
ग्रेट इथियोपियन रेनेसांस डैम के लिए पैसे की जरूरत है. निवेशकों के साथ स्थानीय लोगों को प्रोजेक्ट की जानकारी देनी जरूरी है. देश को 3.6 अरब यूरो खुद जुटाने होंगे. पड़ोसी देशों की ऊर्जा कंपनियों के साथ समझौता ना होने की वजह से विश्व बैंक की मदद नहीं मिली. लिहाजा देशवासियों को भी हाथ बंटाना होगा. हर नागरिक को एक महीने की तनख्वाह देनी होगी, तब जाकर बांध का काम पूरा हो सकेगा.
बांध के चीफ इंजीनियर सेमेन्यू बेकेले बताते हैं, "बांध कंक्रीट से बन रहा है. निर्माण कार्य पूरा हो जाने के बाद यहां बांध का ऊपरी हिस्सा होगा. नील नदी के दांये तट की तरफ हम इस समय एक कनाल बना रहे हैं. नदी की मुख्यधारा को कुछ समय के लिए वहीं मोड़ा जाएगा."
इंजीनियरों को लगता है कि बांध के बन जाने से बिजली और पानी के अलावा रोजगार भी पैदा होंगे. लेकिन यह सब तभी होगा जब बांध बनाने लायक पैसा जमा हो.
रिपोर्ट: हाइको हेलटोर्फ/निखिल रंजन
संपादन: ईशा भाटिया