इतिहास में आज: 22 जनवरी
२१ जनवरी २०१५रोए बनाम वेड मामले पर सुनवाई करते हुए अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय किया. कोर्ट ने कहा कि महिलाओं को संविधान से मिले निजता के अधिकार के तहत यह निर्णय लेने का हक है कि वे गर्भवती होने के पहले 6 महीने के भीतर गर्भपात करवा सकें. केवल गर्भावस्था के अंतिम तीन महीनों में ऐसा नहीं कराया जा सकता.
इस विवादास्पद निर्णय के आने से अमेरिका में सदियों से चले आ रहे गर्भपात-विरोधी कानून पर सवाल उठा. समाज में महिलाएं बहुत समय से यह मांग करती आई थीं कि उन्हें उनके शरीर और उससे जुड़ी प्रजनन प्रक्रियाओं पर नियंत्रण मिले. इस मामले से पहले भी सुप्रीम कोर्ट में कई बार इन अधिकारों पर बहस हो चुकी थी. गर्भपात को कानूनी मान्यता देने का यह निर्णय बेहद भावनात्मक मामला था और इस पर लोगों की राय बंटी हुई थी. 1980 के दशक में इस बहस ने फिर से जोर पकड़ा.
रिपब्लिकन राष्ट्रपतियों रोनाल्ड रीगन और जॉर्ज बुश ने अपने विशेषाधिकारों का इस्तेमाल कर एबोर्शन की फ्री प्रैक्टिस पर रोक लगाने के लिए कई तरह के दिशानिर्देश जारी किए. 1986, 1989 और फिर 1992 में सुप्रीम कोर्ट कई मौकों पर अपने शुरुआती निर्णय की ही पुष्टि करता रहा. 1993 में सत्ता में आते ही डेमोक्रेट राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने पहले के राष्ट्रपतियों के गर्भपात विरोधी कानूनों को पलट दिया.