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इतिहास में आज: 18 दिसंबर

ऋतिका राय१७ दिसम्बर २०१४

दो साल तक पेड़ पर ही रहने वाली अमेरिका की एक पर्यावरण कार्यकर्ता जूलिया बटरफ्लाई हिल ने धरती पर आज ही के दिन वापस कदम रखा था. वह कैलिफोर्निया प्रांत में पेड़ों को कटने से बचाने के लिए प्रदर्शन कर रही थीं.

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USA Umweltaktivistin Julia Butterfly Hill in einem Baum
तस्वीर: R. Beck/AFP/Getty Images

18 फरवरी 1974 को अमेरिका के मिसूरी प्रांत में जन्मी पर्यावरण कार्यकर्ता जूलिया ने 1997 से 1999 के बीच एक खास तरह का सविनय अवज्ञा आंदोलन किया था. वह 738 दिनों तक पेड़ पर ही रहीं और कैलिफोर्निया प्रांत के जंगलों में व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए काटे जा रहे रेडवुड पेड़ों को बचाने की मुहिम छेड़ी. 10 दिसंबर 1997 से लेकर 18 दिसंबर 1999 तक उन्होंने एक हजार साल पुराने लूना नाम के एक रेडवुड पेड़ पर अपना डेरा जमाए रखा. इससे पूरे विश्व का ध्यान और मीडिया की तवज्जो पाल्को नाम की एक कंपनी की गतिविधियों की ओर गया. यह कंपनी पर्यावरण के लिए हानिकारक समझे जाने वाले तरीकों से पेड़ों की अंधाधुंध कटाई करवा रही थी.

हिल के इस अभियान से जनता में जंगलों के महत्व को लेकर नई तरह की दिलचस्पी और जागरुकता आई. अपने 738 दिनों के वृक्षवास के दौरान वह 6x8 फुट के एक प्लेटफार्म पर रहीं. इस बीच कठोर मौसम, बीमारी और उनका अभियान रुकवाने की कंपनी की तमाम कोशिशों का सामना करते हुए हिल वहीं बनी रहीं. उनपर फ्लडलाइटें फेंककर और लाउडस्पीकर चलाकर शोर से परेशान भी किया गया.

उनके दृढ़ निश्चय की ही बदौलत कंपनी को लूना और उसके आसपास के कई पेड़ों को बचाने में कामयाबी मिली. इस के बाद ही कैलिफोर्निया की हुम्बोल्ट यूनिवर्सिटी में जंगल संबंधी विषयों पर रिसर्च के लिए 50,000 डॉलर की अनुदान राशि दी गई. हिल ने आगे चलकर सर्किल ऑफ लाइफ नाम की एक संस्था बनाई जिसका मकसद प्रकृति और इंसान के बीच संबंध को सुधारना था.

Deutschland USA Umweltaktivistin Julia Butterfly Hill in Kassel
तस्वीर: picture-alliance/dpa/C. Schauderna