इतिहास में आज: 15 अगस्त
१४ अगस्त २०१४2010 में हत्या के दोषी करार दिए गए सैन्य अधिकारियों को ढाका की केंद्रीय जेल में फांसी दी गई. इनके नाम थे कर्नल फारुख रहमान, मेजर बजलुल हुदा, मेजर एके एम महिउद्दीन अहमद आर्टिलरी, महिउद्दीन लैंसर और सुलतान शाहरियार रशीद खान. इनके अलावा खांडेकर अब्दुर्रशीद, नूर चौधरी, शरीफुल हक दलीम, रिसालदार मुसलेहउद्दीन, कैप्टन अब्दुल मजीद, रशीद चौधरी और अबुल हाशेम मृधा को भी फांसी की सजा सुनाई गई लेकिन वे फरार हैं.
बांग्लादेश के इतिहास का ये सबसे लंबा मुकदमा रहा. लंबे समय तक इन हत्यारों के खिलाफ कोई मुकदमा नहीं चलाया गया. 1996 के चुनावों में आवामी लीग की जीत के बाद शेख मुजीब के आवास के प्रबंधक मुहितुल इस्लाम ने 20 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दायर किया था. 13 साल तक चले मुकदमे के बाद निचली अदालत ने 15 आरोपियों को मौत की सजा दी, जिनमें से 12 की मौत की सजा की हाईकोर्ट ने बरकरार रखी.
शेख मुजीब देश के पहले प्रधानमंत्री थे. पूरे परिवार समेत उनकी हत्या करने वालों को 38 साल के बाद फांसी हुई. बंगबंधु कहे जाने वाले शेख मुजीबुर्ररहमान के सात हत्यारे अभी तक फरार हैं. इंटरपोल की ओर से उनके खिलाफ वारंट जारी किए गए हैं.