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इतिहास में आज: 14 मई

१३ मई २०१४

आज ही के दिन 1992 में भारत ने तमिल टाइगर्स के नाम से मशहूर श्रीलंकाई विद्रोही संगठन एलटीटीई पर प्रतिबंध लगा दिया था. संयुक्त राष्ट्र और भारत समेत 32 देशों ने उसे आतंकवादी संगठन करार दिया.

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Sri Lanka Demonstration von Regierungsanhängern in Colombo
तस्वीर: dapd

2009 में श्रीलंका की सरकार ने तमिल विद्रोहियों के साथ करीब 26 सालों तक चले संघर्ष के खत्म होने का एलान किया. लेकिन संगठन के अंतरराष्ट्रीय तार अभी सक्रिय हैं. भारत ने गैरकानूनी गतिविधियों संबंधी अधिनियम के तहत एलटीटीई पर 14 मई 1992 को प्रतिबंध लगा दिया था. तब से भारत प्रतिबंध को हर दो साल पर बढ़ाता रही है. एलटीटीई पर यूरोपीय संघ, कनाडा और अमेरिका में भी प्रतिबंध है.

अलगाववागदी संगठन लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम की कोशिश थी श्रीलंका में उत्तरी और पूर्वी इलाके को स्वतंत्र देश बनाना. 1980 के दशक की शुरुआत से ही श्रीलंका लगातार बढ़ते हिंसक जातीय संघर्ष का सामना कर रहा था. श्रीलंका में संघर्ष बढ़ने के साथ साथ भारत में शरणार्थियों की भीड़ भी बढ़ रही थी. जिसके चलते 1987 में भारत और श्रीलंका के बीच शांति की बहाली के लिए समझौता हुआ. समझौते के तहत भारतीय शांति सेना को श्रीलंका में शांति कायम करने में मदद करनी थी. इसका मकसद था लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम(एलटीटीई) जैसे श्रीलंकाई तमिलों और श्रीलंकाई सेना के बीच गृहयुद्ध खत्म कराना.

भारतीय सेना वहां शांति बहाली के लिए गई थी, लेकिन जब उसी के खिलाफ उग्रवादियों ने हमला कर दिया तो उन्हें बल प्रयोग करना पड़ा. नतीजा यह हुआ कि लिट्टे भारतीय सैनिकों को दुश्मन की तरह देखने लगा. भारतीय सेना के तमिल टाइगर्स के साथ तीन हफ्ते तक चले संघर्ष में कामयाबी हासिल हुई और जाफना प्रायद्वीप से एलटीटीई के पांव उखड़ गए. हालांकि भारतीय सेना की इसी कार्रवाई का बदला लेने के लिए एलटीटीई ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मानव बम के जरिए हत्या कर दी.