इतिहास में आज: छह मई
५ मई २०१४मोतीलाल नेहरू इलाहाबाद के एक मशहूर वकील थे. लेकिन उनका भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी अहम किरदार रहा. वह 1919 से 1920 और दूसरी बार 1928 से 1929 तक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे.
ब्रिटिश शासन काल में पश्चिमी अंदाज की उच्च शिक्षा पाने वाले भारतीयों में मोतीलाल नेहरू कुछ प्रारंभिक लोगों में से एक थे. उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी की और काफी समय तक अंग्रेजी न्यायालयों में वकील के रूप में काम किया. 1919 में अमृतसर में जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद उन्होंने महात्मा गांधी के आह्वान पर वकालत छोड़ दी और स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गए.
मेतीलाल नेहरू वैसे तो पश्चिमी रहन सहन और वेशभूषा से खासे प्रभावित थे लेकिन महात्मा गांधी से संपर्क में आने पर उनकी सोच पर काफी फर्क पड़ा. उन्होंने देशबंधु चित्तरंजन दास के साथ 1923 में 'स्वराज पार्टी' का गठन किया. इसी के जरिए वह 'सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेम्बली' पहुंचे और बाद में वह विपक्ष के नेता बने. उन्होंने आजादी की लड़ाई के दौरान भारतीयों के पक्ष को सामने रखने के लिए 'इंडिपेंडेंट अखबार' भी चलाया.
इलाहाबाद में अपना नया घर बनवाने के बाद अपना पुराना घर स्वराज भवन उन्होंने कांग्रेस को इस्तेमाल के लिए दे दिया. जवाहरलाल नेहरू उनके एकलौते पुत्र थे. उनकी दो बेटियां विजयलक्ष्मी पंडित और कृष्णा हठीसिंह थीं. मोतीलाल नेहरू का 1931 में इलाहाबाद में निधन हुआ.