इतिहास में आजः 3 दिसंबर
३ दिसम्बर २०१३राजेंद्र बाबू के नाम से विख्यात इस स्वतंत्रता सेनानी ने स्कूल के दिनों से ही अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा दिया था और आगे चल कर हर मोर्चे पर उसे सच साबित किया. उनकी पढ़ाई के दिनों के दर्जनों किस्से आज भी भारत में विद्यार्थियों को प्रेरणा देने के लिए सुने सुनाए जाते हैं.
आजादी की लड़ाई के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल होने से पहले वह वकील थे. महात्मा गांधी के प्रबल समर्थक राजेंद्र बाबू बहुत जल्दी ही बिहार के बड़े नेताओं में शामिल हो गए. 1934 में वो कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी चुने गए. देश के आजाद होने पर वह संविधान सभा के अध्यक्ष चुने गए. इसी सभा ने देश का संविधान तैयार किया. 1950 में जब देश गणतंत्र बना तो संविधान सभा ने उन्हें देश का पहला राष्ट्रपति चुना. 1951 में पहले आम चुनाव के बाद वे भारतीय संसद के इलेक्टोरल कॉलेज के जरिए चुने गए देश के पहले राष्ट्रपति बने. 1957 में उन्हें दोबारा इस पद के लिए चुना गया.
देश के सर्वोच्च पद पर रहने के बावजूद लोग उनकी प्रतिभा और सादगी के कायल रहे हैं जिसने भारत के नीति नियंताओं के लिए नैतिकता की लकीर बहुत पहले खींच दी थी.