जब कैपिटोल को जलाया गया
२३ अगस्त २०१४साम्राज्यवाद के घोड़े पर सवार ब्रिटेन को 19वीं सदी के शुरू में यूरोप में हो रही जंगों में कामयाबी मिल रही थी, जबकि अमेरिका कोई 40 साल पहले ही आजाद हो चुका था. उसी समय अमेरिकी और ब्रिटिश फौजों के बीच 1812 का युद्ध लड़ा गया. इसमें अमेरिकी सेना को हार का सामना करना पड़ा और 1814 में ब्रिटिश सेना राजधानी वॉशिंगटन डीसी पहुंच गई. उसने एक एक कर ऐतिहासिक महत्व वाली इमारतों में आग लगाना शुरू कर दिया, जिसमें राष्ट्रपति निवास व्हाइट हाउस और संसद कैपिटोल भी शामिल था.
उस जमाने में अमेरिका का भ्रमण करने वालों का कहना था कि राजधानी वॉशिंगटन डीसी में यूएस कैपिटोल ही इकलौती इमारत थी, जिस पर लोगों की दूर से नजर जाती थी. हमले से कोई 20 साल पहले तैयार हुई यह बिल्डिंग किसी भी दूसरे देश के संसद की तरह गोल है और अमेरिकी राष्ट्रपति के निवास स्थान व्हाइट हाउस से टहल कर पहुंचा जा सकता है.
इसके ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखते हुए ब्रिटिश सेना ने इसे ध्वस्त करने का इरादा किया. उससे पहले इमारत को लूट लिया गया. पत्थरों से बनी इमारत में आग ठीक ढंग से नहीं लग पाई. उसके बाद हमलावरों ने संसद के फर्नीचरों को जमा किया और उनमें बारूद छिड़क कर आग लगा दी. यह तरकीब काम कर गई. इसका सबसे ज्यादा नुकसान संसद की लाइब्रेरी को पहुंचा, जहां 3000 किताबें राख हो गईं. आस पास की दूसरी इमारतें भी जल गईं. वैसे कैपिटोल की नींव को नुकसान नहीं पहुंचा और उसे बाद में मरम्मत कर दिया गया.
आजाद अमेरिकी इतिहास में यह पहला मौका था, जब किसी विदेशी सेना ने उस पर धावा बोला और जीत हासिल की. अमेरिका में कैपिटोल और व्हाइट हाउस को जलाने की भी यह इकलौती घटना है.