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इतिहास में आजः 11 अक्टूबर

१० अक्टूबर २०१३

श्रीलंका के जाफना प्रायद्वीप को अलगाववादी लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम से मुक्त कराने के लिए भारतीय शांति रक्षा सेना ने 1987 में आज ही के दिन ऑपरेशन पवन शुरू किया.

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तस्वीर: Getty Images/AFP/L. Wanniarachchi

1980 के दशक की शुरुआत से ही श्रीलंका लगातार बढ़ते हिंसक जातीय संघर्ष का सामना कर रहा था. श्रीलंका में संघर्ष बढ़ने के साथ साथ भारत में शरणार्थियों की भीड़ भी बढ़ रही थी. जिसके चलते 1987 में भारत और श्रीलंका के बीच शांति की बहाली के लिए समझौता हुआ. समझौते के तहत भारतीय शांति सेना को श्रीलंका में शांति कायम करने में मदद करनी थी. इसका मकसद था लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम(एलटीटीई) जैसे श्रीलंकाई तमिलों और श्रीलंकाई सेना के बीच गृहयुद्ध खत्म कराना. एलटीटीई के सदस्यों को तमिल टाइगर्स के नाम से भी जाना जाता है.

शुरूआत में भारत के सैन्य नेतृत्व को ऐसी कोई उम्मीद नहीं थी कि सेना किसी भी महत्वपूर्ण मुकाबले में शामिल होगी. हालांकि, कुछ महीनों के भीतर ही भारतीय शांति सैनिकों को तमिल लड़ाकों से निबटने के लिए कई ऑपरेशन चलाने पड़े. श्रीलंकाई सेना को शांति प्रयासों में पहले ही विफलता मिल रही थी. द्वीप में शांति स्थापित करने के लिए एलटीटीई का निशस्त्रीकरण जरूरी था जिससे उन्होंने इनकार कर दिया था. इसके अलावा उन्होंने अंतरिम प्रशासनिक परिषद पर हावी होने की कोशिश की.

ऑपरेशन पवन का अहम मकसद जाफना प्रायद्वीप को तमिल टाइगर्स से मुक्त कराना था. 4 अक्टूबर को श्रीलंकाई नौसेना ने नाव पर सवार 17 तमिल लड़ाकों को पकड़ा. इनमें कई इस आंदोलन के प्रमुख सदस्य थे. श्रीलंका सरकार ने उन पर तस्करी का आरोप भी लगाया जिससे कि उन्हें बचाव का रास्ता ना मिल सके. एलटीटीई के नेताओं ने ऐसे में भारत से संरक्षण की मांग की. जिसमें भारत ने असमर्थता जताई. हालात बिगड़ते गए. उग्रवादियों ने जाफना में सैकड़ों सिंहलियों को मार डाला. भारतीय सेना वहां शांति बहाली के लिए गई थी लेकिन जब उसी के खिलाफ उग्रवादियों ने हमला कर दिया तो उन्हें बल प्रयोग पर विवश होना पड़ा. इसका नतीजा यह हुआ कि एलटीटीई भारतीय सैनिकों को दुश्मन की तरह देखने लगा.

भारतीय सेना के तमिल टाइगर्स के साथ तीन हफ्ते तक चले संघर्ष में कामयाबी हासिल हुई, और जाफना प्रायद्वीप से एलटीटीई के पांव उखड़ गए. हालांकि भारतीय सेना की इसी कार्रवाई का बदला लेने के लिए एलटीटीई ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मानव बम के जरिए हत्या कर दी.