इडोमेनी के बच्चे
तुर्की से ग्रीस होकर यूरोप में घुस रहे शरणार्थी जगह जगह फंसे हुए हैं. ग्रीक मेसेडोनिया सीमा पर इडोमेनी में शरणार्थी अमानवीय हालत में दिन काट रहे है. बरसात और ठंड में सबसे ज्यादा परेशानी बच्चों को है.
गंदगी की जिंदगी
बाल्कान रूट बंद हो गया है. इसका फैसला स्लोवेनिया, सर्बिया और क्रोएशिया ने किया. उत्तरी ग्रीस के इडोमेनी शहर में 10,000 शरणार्थी फंस गए हैं जो अमानवीय परिस्थितियों में रह रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी संस्था के अनुसार कैंप में रहने वाले लोगों में आधे बच्चे हैं.
बंद सीमा
युद्ध और विभीषिका से भागकर यूरोप पहुंचना मुश्किल होता जा रहा है. यहां तक कि सीरिया के अपेक्षाकृत शांत दमिश्क, लताकिया और होम्स जैसे इलाकों से आने वाले लोग भी अब सीमा पार नहीं कर सकते. शरणार्थियों से वैध दस्तावेजों की मांग की जा रही है.
खुशी के मौके
हंसते मुस्कुराते बच्चों की चमकती आंखें. ऐसे क्षण तब दिखते हैं जब यहां 'विद्रोही जोकर' आते हैं. उनके आते ही सभी उम्र के बच्चे कतार बांध कर खड़े हो जाते हैं. लेकिन ऐसा कब तक चलेगा. युवा शरणार्थी अपनी हालत के खिलाफ प्रदर्शन करने लगे हैं.
खोता बचपन
इन बच्चों के लिए न तो स्कूल की व्यवस्था है और न ही किंडरगार्टनों की. दिन भर उनके करने के लिए कुछ नहीं है. साथ ही गंदगी की वजह से महामारियों का खतरा भी लगातार बढ़ रहा है. यहां दो बच्चों के लिए घिसा पिटा गद्दा ही उनका प्लेग्राउंड हैं.
पटरियों पर जीवन
बहुत से शरणार्थियों की जिंदगी रेल की उन पटरियों पर गुजर रही है जो ग्रीस से मेसेडोनिया की ओर जाती है. अक्सर बच्चे पास खड़े डब्बों से हाई वोल्टेज बिजली के खंभों में चढ़ते नजर आते हैं. नतीजा जानलेवा दुर्घटनाओं के रूप में सामने आता है.
लक्ष्यहीनता में कैद
करीब 36,000 शरणार्थी ग्रीस में फंसे हुए हैं. इडोमेनी उनके लिए दरअसल अंतरिम मुकाम है. वहां न तो ग्रीक अधिकारी हैं और न ही यूरोपीय अधिकारी. शरणार्थियों की न्यूनतम जरूरतों को पूरा करने की ज्यादातर जिम्मेदारी गैर सरकारी संगठन उठा रहे हैं.
जहरीली आग
सर्दी की रातों में ठंड से बचने के लिए शरणार्थियों को अलाव का सहारा लेना पड़ रहा है. लकड़ी के अभाव में वे गर्मी के लिए प्लास्टिक का कचरा जलाते हैं. इससे जहरीला धुंआ निकलता है. अक्सर सांस की तकलीफ के कारण बच्चों का इलाज करना होता है.
ईयू की योजना
इडोमेनी की बच्चों के लिए एकमात्र उम्मीद है इंतजार. यूरोपीय संघ के देशों ने ग्रीस में फंसे शरणार्थियों की मदद के लिए 70 करोड़ यूरो का इमरजेंसी प्लान बनाया है. ग्रीस का कहना है कि जल्द ही उन्हें 100,000 लोगों की देखभाल करनी होगी.
डॉक्टरों का गुस्सा
राहत संगठन डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने यूरोपीय संघ की योजना की कड़ी निंदा की है. वे अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी नियमों को तुरंत लागू किए जाने की मांग कर रहे हैं. इसमें यूरोप में वैध रूप से शरण लेने का आवेदन दे सकना भी शामिल है.