इक्वाडोर में हालत अब सामान्य
२ अक्टूबर २०१०एक दिन पहले पुलिस विद्रोह के कारण देश का लोकतंत्र खतरे में पड़ गया था. इक्वाडोर की सरकार ने इस विद्रोह को तख्तापलट की कोशिश कहा है हालांकि अंतरराष्ट्रीय बिरादरी इसे इक्वाडोर में लोकतंत्र के संकट के रूप में देखती है. नए पुलिस प्रमुख ने क्वीतो रेजिमेंट में सिपाहियों का निरीक्षण किया. गुरुवार को विद्रोह का आग यहीं से धधकनी शुरू हुई थी. यहीं पर राष्ट्रपति रफाएल कोरेया को धक्का दिया गया, उनका अपमान किया गया, उन पर हमला हुआ और ये विडियो फुटेज पूरी दुनिया ने देखा.
नए कमांडर ने पिछले दिन की घटना पर अफसोस जताया और पुलिस वालों से कहा कि उन्हें राष्ट्रपति को सम्मान देना चाहिए था. गुरुवार की सुबह तब के पुलिस प्रमुख मार्टिनेज अपने मातहतों को ये समझाने की कोशिश कर रहे थे कि नया कानून उनकी भलाई के लिए है और उन्हें इसका विरोध नहीं करना चाहिए. मार्टिनेज पुलिस के जवानों को अपनी बात समझाने में नाकाम रहे और उसके बाद विद्रोह ने आग पकड़ ली.
डिस्ट्रीक्ट अटॉर्नी मार्को फ्रेयर ने भी पुलिस मुख्यालय का दौरा किया और घटनाओं को क्रम जानने की कोशिश की जिससे कि दोषियो के खिलाफ कार्रवाई की जा सके.
कई घंटे तक कोरेया को क्वीतो के पुलिस अस्पताल में उनकी मर्जी के खिलाफ रोक कर रखा गया. करीब 30 हजार पुलिसकर्मी उन्हें घेर खड़े थे. पुलिस के कुछ अधिकारियों ने पुलिस को मुख्य बैरक क्वीतो के इंटरनेशनल एयरपोर्ट के रनवे को भी अपने कब्जे में करते देखा गया. गुरुवार की रात आखिरकार सेना राष्ट्रपति कोरेया को पुलिस के चंगुल से बिना किसी नुकसान के छुड़ाने में कायाब हो गई. हालांकि इस दौरान हुई फायरिंग में दो लोगों की जान चली गई.
दक्षिणी अमेरिका के नेताओं ने इस विद्रोह की निंदा की है अमेरिकी राज्यों के संगठन ओएएस के महासचिव जोस मिगुएल इंसुल्जा शुक्रवार को राजधानी क्वीतो पहुंचे और विद्रोह के खिलाफ राष्ट्रपति को अपना समर्थन जताया. अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने कोरेया को फोन कर उनकी सरकार को अमेरिकी मदद का प्रस्ताव दिया. वाशिंगटन में अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता पी जे क्राउली ने बताया, "विदेश मंत्री ने राष्ट्रपति और इक्वाडोर की सरकार के प्रति अपना समर्थन जताया है."
उधर ब्यूनस आयर्स में दक्षिणी अमेरिका के नेताओं की विद्रोह पर हुई बैठक में इसकी निंदा की गई और हिंसा के शांतिपूर्वक खत्म हो जाने का स्वागत किया गया. इसके साथ ही सभी देशों ने इक्वाडोर की हालत जानने के लिए अपने विदेश मंत्रियों को वहां भेजने का फैसला किया.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः आभा एम