इंग्लैंड क्रिकेट टीम जर्मनी के खुफिया दौरे पर
२९ सितम्बर २०१०ट्रिप से पहले किसी भी खिलाड़ी को इस बात की जानकारी नहीं थी कि वे कहां जा रहे हैं. सिर्फ कोच एंडी फ्लावर और उनके खासमखास लोगों को ही पता था कि वे जर्मनी जा रहे हैं. खिलाड़ियों से कहा गया कि वे सिर्फ अपने पासपोर्ट और वॉकिंग शूज लेकर आएं लेकिन मोबाइल फोन नहीं. शायद अधिकारियों को अंदेशा था कि केविन पीटरसन या ग्रेम स्वान में से कोई कहीं कोई संदेश ट्वीट न कर दे.
उन्होंने जर्मन शहर न्यूरेमबर्ग में वक्त बिताया और इस दौरान शारीरिक और मानसिक अभ्यास किया. खिलाड़ियों ने बॉक्सिंग और हाइकिंग की. पिछले गुरुवार को शुरू हुआ यह ट्रिप मंगलवार को पूरा हुआ और खिलाड़ी इंग्लैंड लौट गए.
इससे पहले उन्होंने बवेरिया में डकाऊ के यातना शिविर को देखा, जो 1933 में नाजी जर्मन साम्राज्य में बना था. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक इस शिविर में 40,000 से ज्यादा लोगों की जान गई थी.
इंग्लैंड की टीम ने पिछले एशेज मुकाबले से पहले बेल्जियम में बेल्जियम के फ्लैंडर्स में पहले विश्व युद्ध के जंग का मैदान देखा था. इंग्लैंड अपने देश में खेले गए उस एशेज सीरीज को 2-1 से जीतने में कामयाब रहा. लेकिन इस बार उसे ऑस्ट्रेलिया की धरती पर खेलना है.
इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड ने एक बयान जारी कर कहा कि खिलाड़ियों का जर्मनी दौरा उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार करने के लिए था. एशेज से पहले इस तरह की रिवायत की शुरुआत ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान स्टीव वॉ ने की थी, जब 2001 में उन्होंने टीम के साथ तुर्की जाकर पहले विश्व युद्ध का मैदान गलीपोली देखा था.
इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच एशेज सीरीज का पहला टेस्ट मैच 25 अक्तूबर से ब्रिसबेन में खेला जाएगा.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल
संपादनः एस गौड़