आम लोगों के पैसे तैयार ट्रेन का सफर शुरू
१६ दिसम्बर २०१६जर्मनी के नेटवर्क में सरकारी कंपनी डॉयचे बॉन का एकाधिकार है. कंपनी रिजनल और हाई स्पीड ट्रेनें चलाती है. साथ ही रेलवे ट्रैक का रखरखाव भी करती है. लेकिन डॉयचे बान से लोगों को एक शिकायत है. कई लोगों को लगता है कि डॉयचे बान का टिकट बहुत महंगा रहता है. इसी वजह से जर्मनी में बड़ी संख्या में लोग इधर उधर जाने के लिए कारों या सस्ते हवाई टिकट का इस्तेमाल करते हैं. जर्मनी में महंगे ट्रेन टिकट के चलते बीते कुछ सालों में सस्ती बस सेवाएं भी शुरू हुई हैं.
यह मुश्किल सबको महसूस हो रही थी, लेकिन डेरेक लाडेविग ने इसे कारोबार में बदल दिया. उन्होंने एक स्टार्ट अप कंपनी लोकोमोर खोली. पैसा जुटाने के लिए उन्होंने आम लोगों से अपील की. क्राउडफंडिंग कहे जाने वाले इस तरीके के जरिये साल भर के अंदर लाडेविग ने 5 लाख यूरो जुटा लिये. इस पैसे से उन्होंने 1970 के दशक की एक पुरानी ट्रेन की मरम्मत कराई. पुराने लुक को बरकरार रखते हुए गाड़ी को नई सुविधाओं से लैस किया.
14 दिसंबर की सुबह गाड़ी अपनी पहली यात्रा पर मर्सिडीज और पोर्शे जैसी कारों के शहर श्टुटगार्ट से जर्मन राजधानी बर्लिन के लिए रवाना हुई. साढ़े छह घंटे के सफर के बाद गाड़ी बर्लिन पहुंची और दोपहर बाद वापस लौटी. पहले ट्रिप के दौरान ट्रेन लोगों से भरी रही. डॉयचे बान की आईसीई ट्रेन में श्टुटगार्ट से बर्लिन का टिकट 100 यूरो से भी ज्यादा महंगा है. वहीं क्राउडफंडिंग से शुरू हुई रेलसेवा सिर्फ 22 यूरो में बर्लिन पहुंचा रही है.
लोकोमोर के संस्थापक लाडेविग का कहना है कि उनकी ट्रेन का टिकट हमेशा डॉयचे बान से काफी सस्ता होगा. डिमांड बहुत ज्यादा होने पर टिकट का दाम थोड़ा बढ़ाया जाएगा ताकि लोगों के पैसे लौटाए जा सकें. ट्रेन में पैसा लगाने वालों को कई विकल्प दिये गये हैं. वह या तो निवेशक बन सकते हैं या फिर ऐसे वाउचर बेच सकते हैं जो टिकट का काम करेंगे.
लाडेविग के मुताबिक यह डॉयचे बान से प्रतिस्पर्धा नहीं है. वह तो बस ग्राहकों को कुछ सस्ती और कम प्रदूषण फैलाने वाली सेवा मुहैया कराना चाहते हैं. सरकारी रेडियो आरबीबी से बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह परिवहन का सामाजिक तरीका है. ट्रेन में सोशल सीटिंग भी है, इसके तहत मुसाफिर अपनी पसंद की सीट चुन सकेंगे.
ओएसजे/एमजे (डीपीए)