मोदी सरकार के सामने उम्मीदों पर खरा उतरने की चुनौती
२७ फ़रवरी २०१५कोई नौ महीने पहले ‘मोदी लहर' पर सवार होकर केंद्र की सत्ता पर काबिज होने वाली भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए सरकार पर अब शनिवार को अपने पहले आम बजट में जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने की कठिन चुनौती है. उसे अब अपने तमाम वादों को पूरा करने की दिशा में ठोस कदम उठाना है जो उसने अपने चुनाव अभियान के दौरान किए थे. मोदी सरकार के पिछले नौ महीनों के रिकार्ड को देखते हुए आम लोगों को उसके पहले बजट से भारी उम्मीदें हैं.
वैसे, मोदी सरकार ने इस दौरान नीतिगत बाधाओं को दूर करने के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और ढांचागत क्षेत्र में सुधार की दिशा में कई कदम उठाए हैं. इससे व्यावसायिक तबके और निवेशकों में तो भरोसा पैदा हुआ है, लेकिन आम लोग पहले बजट में बड़े नीतिगत बदलावों की आस लगाए बैठे हैं ताकि उनके रोजमर्रा के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़े. आम आदमी चाहता है कि सरकार महंगाई, शिक्षा, कराधान और सस्ते मकान मुहैया कराने की दिशा में ठोस नीतिगत कदम उठाए. सरकार के लिए आम आदमी की उम्मीदों को पूरा करने का यह माकूल समय है. तेल की गिरती कीमतों ने उसका काम काफी हद तक आसान कर दिया है.
बचत पर ब्याज दर में लगातार गिरावट सरकार के साथ आम लोगों के लिए भी चिंता का विषय बना हुआ है. अगर देश के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7-8 फीसदी तक पहुंचानी है तो बचत दर को और बढ़ाना होगा. राष्ट्रीय बचत दर में पिछले सात वर्षों से लगातार गिरावट आ रही है. सरकार को टैक्स इन्सेंटिव्स के जरिए घरेलू वित्तीय बचत को बढ़ावा देकर स्थिति में सुधार करना होगा. कर में छूट की सीमा बढ़ाने या लघु बचत योजनाओं पर टैक्स इन्सेंटिव का एलान कर सरकार देश की घरेलू बचत दर बढ़ा सकती है. इससे विदेशी पूंजी पर सरकारी निर्भरता कम होगी.
आम आदमी के नजरिए से इस साल का आम बजट मोदी सरकार के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं हैं. वित्त मंत्री करों के मोर्चे पर क्या करते हैं, इस पर सबकी निगाहें टिकी हैं. वेतनभोगी लोगों को आय कर छूट की सीमा मौजूदा ढाई लाख से बढ़ा कर तीन लाख किए जाने की उम्मीद है. इससे लोगों को बचत करने में सहायता मिलेगी. कामकाजी महिलाओं के मामले में यह सीमा बढ़ा कर चार लाख होने की उम्मीद है. इसी तरह सेक्शन 80 सी के तहत छूट की सीमा को मौजूदा डेढ़ लाख से बढ़ा कर ढाई लाख करने की आस है. नियोक्ता की ओर से कर्मचारियों को मिलने वाले वाहन भत्ते में हर महीने आठ सौ रुपए तक पर ही कर छूट का प्रावधान है. लेकिन यह सीमा एक दशक से भी पहले तय की गई थी. मौजूदा हालात में इसे बढ़ा कर हर महीने कम से कम तीन हजार रुपए करना जरूरी है.
नए मकान खरीदने वाले लोगों को कर्ज पर ब्याज के लिए होने वाली कटौती की सीमा मौजूदा दो लाख से बढ़ाकर कम से कम तीन लाख किए जाने की उम्मीद है. हाल के वर्षों में संपत्ति की कीमतों में आए उछाल को देखते हुए यह उम्मीद कोई ज्यादा नहीं है. इसी तरह बुजुर्गों यानी सीनियर सिटीजंस के मामले में भी कर छूट की सीमा मौजूदा तीन से बढ़ा कर चार लाख करने की मांग उठी है. उच्च शिक्षा हासिल कर रहे छात्रों को उम्मीद है कि सरकार अबकी एजुकेशन लोन पर छूट की सीमा दो साल बढ़ा कर दस साल कर देगी. उनको उम्मीद है कि सर्विस टैक्स में और बढ़ोतरी नहीं होगी क्योंकि वैसी स्थिति में शैक्षणिक संस्थान अपनी फीस बढ़ा देंगे. लोगों को उम्मीद है कि सरकार एजुकेशन लोन पर ब्याज दर कम करने की दिशा में भी पहल करेगी ताकि सबके लिए शिक्षा का सपना हकीकत में बदल सके.
भारत की अस्सी फीसदी आबादी खेती पर निर्भर है. किसानों को उम्मीद है कि मोदी सरकार खेती के लिए बेहद सस्ती दर पर या बिना ब्याज के कर्ज मुहैया कराएगी. साथ ही किसानों को आधुनिकतम तकनीकों के बारे में प्रशिक्षण देने की दिशा में भी पहल की जाएगी ताकि उत्पादकता में वृद्धि हो. इसके अलावा सबसे जरूरी यह सुनिश्चित करना है कि किसानों को उनके उत्पादों की सही कीमतें मिलें.
अब उम्मीदों के भारी-भरकम बोझ तले दबी मोदी सरकार पहले बजट के सहारे अपने वादों और आम लोगों की उम्मीदों पर कितनी खरी उतरेगी, यह तो वित्त मंत्री का बजट ही बताएगा.
ब्लॉग: प्रभाकर, कोलकाता