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आम के आम, गुठलियों के दाम

८ मई २०१४

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने कहा है कि आम पर लगी रोक की अब वे भारत के नए प्रधानमंत्री के साथ ही चर्चा करेंगे. रोक से एक तरफ व्यापारियों को नुकसान हो रहा है, तो दूसरी ओर भारत में लोग अल्फांसो का मजा ले रहे हैं.

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तस्वीर: Suhail Waheed

बासमती चावल, दार्जिलिंग चाय और अल्फांसो आम, विदेशों में ये भारत की पहचान हैं. अक्सर अच्छी क्वालिटी का सामान पहले ही विदेशों में निर्यात कर दिया जाता है और हिंदुस्तानियों को बचे खुचे से ही काम चलाना पड़ता है. लेकिन यूरोपीय संघ में भारतीय आमों पर लगी रोक ने हालात बदल दिए हैं. फलों का राजा अल्फांसो अब भारतीय बाजार में उपलब्ध है.

मुंबई में फिलहाल इसके दाम 150 से 550 रुपये प्रति किलो चल रहे हैं. पिछले हफ्ते की तुलना में दाम गिरे हैं और व्यापारियों का मानना है कि आने वाले दिनों में ये और सस्ते दामों में बिकेंगे. खरीदार बेहद खुश हैं. मुंबई के बाजार में अल्फांसो खरीदते एक व्यक्ति ने कहा, "साइज भी अलग है और स्वाद भी. हाथ लगाते ही फर्क पता चलता है. काटो तो पूरे कमरे में खुशबू फैल जाती है. मैंने विदेश में रहते हुए ये आम खाए हैं और अब ये यहां भी मिल रहे हैं."

बेहाल ब्रिटेन

यूरोपीय संघ की इस रोक को लागू हुए अब एक हफ्ता हो चुका है. जहां भारत में लोग खुश हैं, वहीं ब्रिटेन के ग्राहकों में निराशा है. ब्लॉगर जेनी लिनफर्ड का कहना है कि ब्रिटेन में लोग गर्मियों में अप्रैल से जून के बीच उन दस हफ्तों का बेसब्री से इंतजार करते हैं, जब आम का सीजन होता है.

यूरोप के बाकी देशों की तरह ब्रिटेन में भी कई जगहों से आम मंगवाया जाता है और ये सुपरमार्केट में मिलता है. लेकिन भारत या पाकिस्तान के आम खाने हों, तो एशियाई सामान वाली अलग दुकान पर ही जाना पड़ता है. लिनफर्ड कहती हैं कि सुपरमार्केट में आम तौर पर जो आम मिलते हैं, वे कड़े होते हैं और उनका स्वाद भी खास नहीं होता. इसीलिए लोग छोटी दुकानों से आम लेना पसंद करते हैं, जहां भारत का अल्फांसो मिल सके.

50 करोड़ का नुकसान

भारतीय मूल की मोनिका भंडारी सरकार से अपने फैसले को बदलने की अपील कर रही हैं. उन्होंने सरकारी वेबसाइट पर एक याचिका भी डाली है, पर अब तक बहुत ज्यादा लोगों ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं. मोनिका का पारिवारिक कारोबार आम के इस सीजन पर ही निर्भर करता है. वह बताती हैं, "हम बहुत परेशान हैं. यह छोटा सा सीजन होता है. हम कई कई हफ्तों तक इंतजार नहीं कर सकते. हमें कहा गया है कि संसद में इस पर बहस होगी. हम उम्मीद कर रहे हैं कि ऐसा जल्द ही हो."

इस रोक के कारण भारतीय व्यापारियों को 50 से 60 करोड़ रुपयों का नुकसान होगा. यह रोक तब लगाई गयी जब भारत से आए आमों में कीड़ा पाया गया. यूरोपीय संघ का कहना है कि इससे यूरोप के देशों और यहां के फल सब्जियों में कीड़ा फैल सकता है. इससे बचने के लिए आम, बैंगन और कुछ अन्य चीजों पर रोक लगाई गयी है.

आईबी/एएम (एपी)