आईसीसी की डगर पर जॉन हॉवर्ड का सफर मुश्किल में
३० जून २०१०बुधवार को आईसीसी की कार्यकारी समिती के बैठक के दौरान इस मसले पर चर्चा में बीसीसीआई को अपना रुख साफ करना है. बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष शरद पवार आईसीसी का अध्यक्ष पद संभालने जा रहे हैं. जगमोहन डालमिया के बाद वो दूसरे भारतीय हैं जो इस पद पर काबिज होंगे.
हालांकि बीसीसीआई की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है लेकिन माना जा रहा है कि जॉन हॉवर्ड का समर्थन करने में बीसीसीआई खास दिलचस्पी नहीं दिखा रही है. बीसीसीआई के इस रुख के पीछ जॉन हॉवर्ड का पिछला रिकॉर्ड है. बीसीसीआई के बड़े अधिकारी इस समय सिंगापुर में हैं और अपनी रणनीति पर विचार कर रहे हैं. पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने भी इस बारे में अपनी सरकार से मशविरा मांगा है. अब तक मिली जानकारी के मुताबिक सरकार ने क्रिकेट बोर्ड को ही इस बारे में फैसला करने की आज़ादी दी है. माना जा रहा है कि इस हफ्ते होने वाली आईसीसी की बैठक में पाकिस्तान दूसरे एशियाई देशों की बनाई राह पर ही चलेगा. अगर बीसीसीआई जॉन हॉवर्ड का विरोध करने का फैसला करता है तो वो बांग्लादेश श्रीलंका और बांग्लादेश का समर्थन भी जुटाने की कोशिश करेगा. ऐसे में पूर्व प्रधानमंत्री के लिए आईसीसी में शामिल होने का सपना दूर की कौड़ी बन जाएगा.
हॉवर्ड को जीतने के लिए 10 में से सात वोटों की जरूरत होगी लेकिन इतने वोट मिल पाएंगे ये कहना मुश्किल है. दक्षिण अफ्रीका, जिम्बाब्वे और श्रीलंका पहले ही हॉवर्ड के नाम पर अपना विरोध जता चुके हैं. इन देशों के क्रिकेट बोर्ड का मानना है कि हॉवर्ड एक राजनीतिक शख्स हैं. गुजरे सालों में कई बार हॉवर्ड ने क्रिकेट खेलने वाले देशों की आलोचना की है. हॉवर्ड की उम्मीदवारी का प्रस्ताव आस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड ने संयुक्त रूप से रखा है.
आईसीसी के उपाध्यक्ष का कार्यकाल 2 सालों का होता है जिसके बाद वो अध्यक्ष पद पर काबिज हो जाता है. इसका मतलब है कि अगर जॉन हॉवर्ड जीतने में कामयाब हो जाते हैं दो 2012 में वो क्रिकेट की सर्वोच्च संस्था के मुखिया बन जाएंगे. क्रिकेट आस्ट्रेलिया ने कहा है कि अगर जिम्मबाब्वे हॉवर्ड का समर्थन नहीं करता तो वो आस्ट्रेलिया में अगले साल होने वाले द्विपक्षीय सीरीज़ को रद्द कर देंगे. इस क्रिकेट सीरीज़ से जिम्बाब्वे को अपनी रैंकिंग में सुधार की उम्मीद है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ एन रंजन
संपादनः एम गोपालकृष्णन