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आईएमएफ में भारत की हिस्सेदारी बढ़ी

२४ अक्टूबर २०१०

आर्थिक रूप से ताकतवर 20 देशों के समूह जी20 ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में सुधारों को लेकर रजामंदी दिखाई. सुधारों के तहत विकासशील देशों के वोटों के अधिकार को बढ़ा दिया गया है. भारत, चीन को फायदा, पश्चिमी यूरोप को नुकसान.

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तस्वीर: AP

दक्षिण कोरिया में हो रहे जी20 देशों के वित्तमंत्रियों की बैठक में कई अहम फैसलों पर सहमति बनी. इनके तहत तेजी से विकास करती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में ज्यादा भागीदारी मिलेगी. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष आईएमएफ के बोर्ड में अब विकासशील देशों के पास ज्यादा सीटें होंगी. पश्चिमी यूरोप यानी फ्रांस, जर्मनी और इटली को दो सीटें गंवानी पड़ेंगी.

इसके अलावा किसी प्रस्ताव पर होने वाले मतदान में भी अब भारत, चीन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका की हिस्सेदारी ज्यादा होगी. विकास कर रहे देशों के वोटों का कोटा छह फीसदी बढ़ा दिया गया है.

Der indische Finanzminister Pranab Mukherjee
भारत के वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जीतस्वीर: UNI

बैठक के बाद भारत के वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि आईएमएफ में भारत की रैंक तीन अंक ऊपर हो जाएगी. भारत आठवें स्थान पर आ जाएगा. मुखर्जी ने कहा, ''हमने महत्वपूर्ण कामयाबी हासिल की है. आईएमएफ में अब भारत का कोटा 2.75 फीसदी बढ़ गया है.'' इससे पहले भारतीय हिस्सेदारी 2.44 फीसदी थी.

जोरदार छलांग चीन ने भी लगाई है. चीन की रैंकिंग छठे से उछलकर तीसरे स्थान पर पहुंच जाएगी. देश की अर्थव्यवस्था के आकार को देखते हुए देशों की हिस्सेदारी बढ़ाई गई है. बैठक में मुद्रा विनिमय दर पर भी खूब बहस हुई. वित्त मंत्रियों ने मान लिया कि विनिमय दर को लेकर सुधार किए जाने चाहिए. इस विवाद में चीन पर सबसे ज्यादा दवाब है. पश्चिमी देशों का कहना है कि चीन को अपनी मुद्रा दर बढ़ानी चाहिए. ऐसा माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में या तो चीनी मुद्रा युआन की कीमत बढ़ेगी या डॉलर सस्ता होगा.

आईएमएफ के बारे में एक बात अब भी अपनी जगह है. अमेरिका की हिस्सेदारी जस की तस बनी हुई है. मुद्रा कोष में किसी भी बड़े फैसले के लिए 85 फीसदी मत होने चाहिए. अमेरिका की 17 फीसदी शेयर जस के तस हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: एमजी

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