आईएमएफ चीफ के घर छापा
२० मार्च २०१३मामला 2007 के एक विवादित फैसले से जुड़ा है. बदनाम दिग्गज कारोबारी बेर्नार्ड टापी और सरकारी बैंक क्रेडिट लियोने के बीच विवाद चल रहा था. तत्कालीन वित्त मंत्री लगार्ड ने मामले के निपटारे के लिए निजी मध्यस्थों का एक पैनल बनाया. मध्यस्थों के फैसले से टापी को 28.5 करोड़ यूरो का फायदा पहुंचा. ब्याज लगाकर रकम 40 करोड़ यूरो यानी करीब 28 अरब रुपये बैठी.
असल में बैंक और टापी के बीच विवाद की शुरुआत 1993 में हुई. स्पोर्ट्स वियर ब्रांड एडीडास में टापी की बड़ी हिस्सेदारी थी. टापी ने आरोप लगाया कि बैंक ने एडीडास की बिक्री ठीक तरीके से नहीं की. इसकी वजह से उन्हें नुकसान हुआ. टापी ने सरकारी बैंक की गलती की वजह से हुए उनके नुकसान की भरपाई की मांग की. डील के ही दौरान बैंक भी धंस गया और दिवालिया होने के करीब पहुंच गया.
जुलाई 2011 में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रमुख बनने से पहले लगार्ड राष्ट्रपति निकोला सारकोजी की सरकार में वित्त मंत्री थी. टापी पूर्व राष्ट्रपति सारकोजी के समर्थक थे. विपक्षी नेताओं का आरोप है कि टापी को फायदा पहुंचाने के लिए लगार्ड ने पद का दुरुपयोग किया. आलोचकों के मुताबिक बैंक में जनता का पैसा दांव पर लगा था, ऐसे में निजी मध्यस्थों की मदद क्यों ली गई. आरोप हैं कि टापी को अथाह पैसा मिला. इतना पैसा तो अदालत के मुकदमे के फैसले से भी उन्हें नहीं मिलता.
बुधवार को पुलिस के छापे के बाद लगार्ड के वकील ईव रेपिके ने कहा, "मिस लगार्ड के पास छुपाने के लिए कुछ भी नहीं है." वकील के मुताबिक लगार्ड ने विवाद को सुलझाने के लिए उस वक्त जो सबसे अच्छा कदम था, वो उठाया.
टापी फ्रांस में काफी बदनाम हैं. उनकी छवि सत्ता से चिपकने वाले तिकड़मी कारोबारी की है. सारकोजी की दक्षिण पंथी पार्टी से जुड़ने से पहले वह फ्रांसोआ मितरां की सोशलिस्ट पार्टी की सरकार में मंत्री भी थे. कहा जाता है कि लगार्ड के फैसले की वजह से उन्होंने 2012 के राष्ट्रपति चुनावों में सारकोजी को जिताने की कोशिश में एड़ी चोटी का जोर लगा दिया. पूर्व राष्ट्रपति निकोला सारकोजी खुद भी अपनी पार्टी के चुनावी चंदे के चक्कर में फंस चुके हैं. 2010 में सारकोजी के करीबी और उनकी सरकार के बजट मंत्री एरिक वोएर्थ को बड़ी कंपनियों से गैरकानूनी चंदा लेने की वजह से इस्तीफा भी देना पड़ा.
टापी फ्रांस के सबसे लोकप्रिय फुटबॉल क्लब ओलंपिक मार्से के मालिक भी रह चुके हैं. 1993 में वह मैच फिक्सिंग के चलते जेल की हवा भी खा चुके हैं. लेकिन इसके बावजूद उनका सर्वोच्च नेताओं के करीब रहना भ्रष्टाचार की ओर भी इशारा करता है. हाल ही में टापी ने दक्षिण फ्रांस के एक अखबार समूह को खरीदा है. अटकलें हैं कि वे राजनीति में दोबारा लौटना चाह रहे हैं और 2014 में मार्से के मेयर पद के लिए चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं.
इस मामले की वजह से फ्रांस की लंबी कानूनी प्रक्रिया पर भी बहस हो रही है. आलोचकों के मुताबिक जांच और अदालत का फैसला आने तक लगार्ड न जाने कितने पद बदल चुकी होंगी.
यह मामला फ्रांस के लिए शर्मिंदगी भरा भी है. लगार्ड से पहले फ्रांस के ही डोमनिक स्ट्रॉस कान आईएमएफ के प्रमुख थे. अमेरिका में होटल कर्मचारी से बलात्कार के आरोप के चलते उन्हें पद छोड़ना पड़ा. अब उनकी जगह बैठी लगार्ड भी गंभीर आरोपों से जूझ रही हैं.
ओएसजे/एमजे (एएफपी)