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अल कायदा को परमाणु हथियारों की तलाशः अमेरिका

११ अप्रैल २०१०

अमेरिका ने कहा है कि आतंकवादी संगठन अल कायदा ने परमाणु हथियार हासिल करने की अपनी कोशिशें तेज कर दी हैं. यह चेतावनी ऐसे समय में दी गई है जब अमेरिका में ऐतिहासिक परमाणु शिखर सम्मेलन होने जा रहा है.

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परमाणु आतंकवाद का बढ़ता खतरातस्वीर: AP

अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन का कहना है कि 1945 में संयुक्त राष्ट्र का गठन करने वाले सम्मेलन के बाद यह अब तक की सबसे बड़ी शिखर बैठक होगी. बैठक शुरू होने से एक दिन पहले रविवार को मेजबान अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा दो नई परमाणु शक्तियों भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों से मिलेंगे. साथ ही वह स्वेच्छा से परमाणु हथियार कार्यक्रम त्यागने वाले दक्षिण अफ्रीका और कजाकिस्तान के नेताओं से भी मुलाकात करेंगे. बैठक के दौरान चार साल के भीतर परमाणु सामग्री को सुरक्षित बनाने पर चर्चा होगी.

12 से 13 अप्रैल तक चलने वाले परमाणु सुरक्षा सम्मेलन के बाद एक बयान जारी होगा जिसमें परमाणु आतंकवाद को एक गंभीर चुनौती बताया जाएगा. साथ ही तमाम देशों से यह संकल्प करने को कहा जाएगा कि वे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसे कदम उठाएं जिनसे परमाणु सुरक्षा मजबूत हो और आपराधिक और आतंकवादी गुटों में हाथ परमाणु हथियार न पड़ सकें.

इससे पहले अमेरिकी विदेश मंत्री क्लिंटन ने केंटकी की लुइसविल यूनिवर्सिटी में परमाणु अप्रसार पर भाषण देते हुए कहा कि एटमी खतरे की प्रकृति अब बदल गई है. उनके मुताबिक, "अब हम उस दौर से निकल गए हैं जब दुनिया में परमाणु युद्ध छिड़ने का खतरा था और रूस के साथ हमारा तनाव था. लेकिन, जैसा कि राष्ट्रपति ओबामा ने कहा है, परमाणु हमले का खतरा अब बढ़ गया है. इस मामले में किसी भी तरह की गलती या लापरवाही के घातक नतीजे भुगतने होंगे."

क्लिंटन मानती हैं कि दुनिया के किसी भी हिस्से में परमाणु हमले से पूरी विश्व व्यवस्था की बुनियादें ध्वस्त हो जाएंगी. उन्होंने कहा, "अमेरिका और रूस के बीच अब परमाणु तनाव नहीं रहा, लेकिन परमाणु प्रसार अब दुनिया के लिए असुरक्षा की बड़ी वजह है." क्लिंटन का दावा है कि ईरान और उत्तर कोरिया जैसे देशों के परमाणु प्रसार से अमेरिकी सेनाओं, उनके सहयोगियों और व्यापक रूप से विश्व हितों को खतरा है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः एस गौड़