अलविदा मदीबा
सोवेतो के फुटबॉल स्टेडियम में नजारा बिलकुल अलग दिखा. दुनिया भर के बड़े नेताओं ने नेल्सन मंडेला को याद किया. इस दौरान धर्म, जाति, नस्ल - ये सारे बंधन टूट गए.
हजारों लोग जुटे
प्यारे मदीबा को आखिरी सलाम करने पहुंची यह महिला अपने आंसू नहीं रोक पाई. हालांकि दक्षिण अफ्रीका के लोग अभी यह तय नहीं कर पाए हैं कि यह गम का मौका है या महान मंडेला के गौरव के बखान का.
दुनिया भर से
इस ऐतिहासिक मौके का साक्षी बनने के लिए दुनिया भर के लोग दक्षिण अफ्रीका पहुंचे. इस दौरान वे जश्न भी मना रहे हैं. लंबी बीमारी के बाद गुरुवार को मंडेला का 95 साल की उम्र में निधन हो गया.
इंद्रधनुषी देश
सामाजिक विविधता की वजह से दक्षिण अफ्रीका को रेनबो नेशन यानी इंद्रधनुषी देश भी कहा जाता है. हरे और पीले रंग के विशाल राष्ट्रीय ध्वज के साथ लोगों का हुजूम स्टेडियम पहुंचा.
सबके मदीबा
दक्षिण अफ्रीका में नेल्सन मंडेला को प्यार से मदीबा कहा जाता है. वह हर उम्र के लोगों में लोकप्रिय थे. एक युवा प्यार भरा पोस्टर लिए आखिरी समारोह में पहुंचा.
परंपरा की पहचान
देश के अलग अलग हिस्सों से आए लोगों में यह कबायली महिला भी शामिल थी, जो दक्षिण अफ्रीका के एक लोकगीत पर अपने पांव थिरका रही थी.
जोश से भरे
भले ही बाहर बारिश हो रही हो लेकिन स्टेडियम पहुंचने वालों के उत्साह में कोई कमी नहीं दिखी. वे हाथों में पोस्टर और बैनर लिए शोक समारोह में शामिल होने पहुंचे.
पहले आओ, पहले पाओ
दक्षिण अफ्रीका प्रशासन ने इस कार्यक्रम के लिए कोई आरक्षण नहीं किया. जो लोग पहले पहुंचे, उन्हें स्टेडियम में बैठने की जगह दी गई. पौ फटने के साथ ही लोगों का कारवां पहुंचने लगा.
भरा हुआ स्टेडियम
नेल्सन मंडेला को यह स्टेडियम बहुत पसंद था. इसे 2010 के विश्व कप के लिए खास तौर पर तैयार किया गया.