अर्बन गार्डनिंग से मिटती दिलों की दूरियां
४ अक्टूबर २०१३शहर के बीच खाली जमीन पर तैयार बगीचे में आप कई देशों के लोगों को मिलकर बागवानी करते देख सकते हैं. यह कोलनर नॉएलांड नाम का सामुदायिक बाग है. अलग अलग संस्कृतियों और धर्मों के लोग अक्सर साथ में सहज नहीं हो पाते. लेकिन यहां काम करने से उन्हें सहनशीलता और दूसरे को समझने का बढ़िया मौका मिलता है.
जिसके हाथ में हरियाली हो वह यहां हाथ बंटा सकता है. जैसे 68 साल के अहमद गोकाल्प, "भाषा के मामले में मुझे परेशानी तो होती है, लेकिन जब मुझे कोई बात समझ नहीं आती तो मैं उसे अलग ढंग से समझाने की कोशिश करता हूं. मुझे अभी तक कोई कठिनाई नहीं हुई है." अहमद 40 साल से जर्मनी में रह रहे हैं. समुदायिक बागवानी का हरा भरा बगीचा उन्हें जन्नत की तरह लगता है. वह बताते हैं, "मुझे इसमें मजा आता है. मैं यहां रोज आता हूं. कई बार में साथियों से पूछता हूं कि कोई मदद चाहिए, कोई हां कहे तो मैं मदद भी कर देता हूं."
कोलनर नॉएलांड प्रोजेक्ट दो साल पहले शुरू किया गया. मकसद बागवानी के शौकीनों को एक जगह मिलवाने का है. खाली समय में यहां आकर काम करने वाले लोगों में 90 फीसदी जर्मन हैं. 10 फीसदी लोग अलग अलग दस देशों के हैं. लेकिन अलग अलग संस्कृतियों के लोगों का एक साथ काम करना इतना आसान भी नहीं. कभी कभी विवाद भी होते हैं. प्रोजेक्ट मैनेजर डोरोथिया होहेनगार्टेन बताती हैं, "कोई आस्था के बारे में या महिलाओं की भूमिका के बारे में बात करता है, फिर कभी कभी दो तरह की सोच वाले आपस में भिड़ जाते हैं. लेकिन अच्छी बात यह है कि यहां आने वाले सब लोगों की पौधों में साझा दिलचस्पी है. इससे बात फिर बनने की गुंजाइश रहती है. हम समझ जाते हैं कि ये हमसे अलग हैं. जरूरी नहीं कि मैं उसके जैसी हूं या वो मेरे जैसा हो."
बागवानी के दौरान समाज में घुलना मिलना प्रोजेक्ट की योजना में शामिल नहीं था. लेकिन वक्त बीतने के साथ विदेशी मूल के कई लोग सामुदायिक बागवानी के लिए आने लगे. पोलैंड की इवोना भी इन्हीं में से एक हैं. नौ साल से जर्मनी में रह रहीं इवोना अब अक्सर बाग में आती हैं. कुछ मुश्किलें होती हैं लेकिन इवोना को लगता है कि लोग उन्हें स्वीकार करते हैं, "हर विवाद अपने साथ खुद को समझने का मौका लाता है. मैंने सीखा है कि दूसरों की सीमाओं को कैसे पहचानूं. यह भी जाना कि प्रवासी होने की हैसियत से मेरा अपना दुख तो है ही, लेकिन जर्मनों के भी अपने दुख दर्द हैं. हर कोई अपने दुखों का बोझ लेकर चलता है."
ताजा सब्जियां और हरी भरी तरकारियां अलग अलग देशों में अलग अलग ढंग से खायी जाती है. बाग में आने वाले ये तरीके भी सीखते हैं. डोरोथिया बताती हैं, "उदाहरण के लिए भटकोइयां, मकोय, नाइटशेड को यहां जहरीला माना जाता था. लेकिन बीते साल यहां एक अफ्रीकी परिवार आया और उन्होंने इसका खूब इस्तेमाल किया. उन्होंने बताया कि वे इसे पालक की तरह भून कj खाते हैं. और इस तरह हमने कुछ नया सीख लिया."
प्रकृति इंसान को सीख देती है. कोलोन में पेड़ पौधों और बागवानी का प्यार, कभी अंजान रहे लोगों को एक दूसरे के करीब ला रहा है. उनमें आनंद भर रहा है.
रिपोर्ट: इंगा वेगेमन/ओंकार सिंह जनौटी
संपादनः ईशा भाटिया